दहेज एक लानत है ?

सर्वप्रथम न्यूज़ सौरभ कुमार की कलम से : दहेज प्रथा जिसे (ऊर्दू में जहेज़) की शुरूआत कब और कहां हुई यह कह पाना मुश्किल है, दुनियां की बहुतसी सभ्यताओं में दहेज लेने और देने के पुख्ता सबूत मिलते हैं, इससे यह तो साफ़ होता है कि दहेज का इतिहास बहुत पुराना है.

अब हम यह जान लें कि दहेज कि वास्तविक परिभाषा यानि मतलब क्या है दहेज के अंतर्गत वे सारे चीज़ें ओर रकम आती हैं जो दूल्हा यानि वर पक्ष को दुल्हन यानि वधू पक्ष के ज़रिये से शादी के दौरान अथवा शादी के बाद वसूल होते हैं, इन चीज़ों की मांग या तो वर पक्ष द्वारा वधू पक्ष से की जाती है अथवा वे स्वेच्छा से इसे प्रदान करते हैं.

हालांकि दहेज का पूरे विश्व में किसी न किसी रूप में बोलबाला है, लेकिन भारत में यह तो एक भयंकर बीमारी के रूप में मौजूद है, देश का शायद ही ऐसा कोर्इ भाग बचा हो जहां के लोग इस बीमारी से ग्रस्त न हों, आए दिन दहेज लेने.देने के सैकड़ों मामले दिखार्इ देते हैं, जिन व्यक्तियों की बेटियां होती हैं वे शुरू से ही दहेज के लिए रकम जोड़ने में लग जाते हैं.

इस वजह से समाज का एक बड़ा तबका बेटियों को मनहूस समझता है और प्रतिवर्ष देश में ही लाखों बेटियों को लिंग परीक्षण कर समय से पूर्व ही नष्ट कर दिया जाता है, विवाह के पश्चात लड़कियों को दहेज के लिए प्रताडि़त करने के सैकड़ों मामले हमारे समाज का हिस्सा बनती जा रही है.

हालांकि सरकार द्वारा दहेज विरोधी अनेक सख्त कानून और सजा का प्रावधान है लेकिन दहेज के मामले घटने के बजाय बढ़ते ही जा रहे हैं, देश भर में दहेज के लोभी राक्षसों द्वारा बेटियों बहुओं को जलाया जा रहा है, मारा जा रहा है और प्रताडि़त किया जा रहा है, दहेज लोभी लोग मानवीयता भूलकर अमानवीय कृत्यों से परहेज नहीं करते.

आज हमारी सरकारों द्वारा लड़कियों के उत्थान व विकास के लिए अनेक योजनाएं चला रही हैं जिनमें शिक्षाए रोजगार सहित विवाहोपरांत मदद भी शामिल है, यह सब इसलिए ताकि बेटियों के परिवारों को बेटियां बोझ न लगें और लड़कियां आत्मनिर्भर हो सकें.

कहने को दहेज लेना और देना तो कानूनन अपराध है ही लेकिन साथ ही इससे संबंधित किसी प्रकार की शिकायत पर तुरंत कार्रवार्इ की जाती है, अनेक स्वयंसेवी संस्थाओं सांस्कृतिक कार्यक्रमों फ़िल्मों आदि के ज़रिये से समाज में दहेज के प्रति जागरूकता का आहवान किया जा रहा है, इन सबके बावजूद हमारे देश से दहेज को मिटाना तभी संभव होगा जब आज कि युवा पीढ़ी यह तय करें कि वे दहेज से परहेज करेंगे !

युवाओं का यह प्रयास भविष्य में दहेज को नेस्तोनाबूद कर सकता है, तभी इससे हमारा समाज एक बार फिर खुशहाल हो सकेगा और भारत देश अपना गौरव हासिल कर सकेगा.

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