बजट क्या है, क्या मीडिया ने बताया ?

सर्वप्रथम न्यूज़ सौरभ कुमार : 18 लाख करोड़ का है इस बार का बजट !वैसे तो 17,77,477 (17 लाख 77 हजार 477 ) करोड़ का है

लेकिन हम मोटा-मोटा 18 लाख करोड़ मान लेते है

 

लेकिन ये बजट होता क्या है ??
आखिर क्या अर्थ है इस 18 लाख करोड़ रूपये का ??
तो मित्रो साधारण व्यक्ति की भाषा मे समझो बजट को !
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आपका परिवार है परिवार चलाने वाले मुख्या को महीने की पहली तारीक को पगार मिलती है फिर वो तय करता है की इसे कहाँ-कहाँ और कितना कितना खर्च करना है !

 

ऐसे ही देश भी एक परिवार है देश चलाने वाली केंद्र सरकार को आम जनता tax के रूप मे पैसा देती है जिससे सरकार बजट बनाती है ! और तय करती है इसे कहाँ-कहाँ और कितना कितना धन खर्च करना है !
देश मे 28 फरवरी को केंद्र सरकार द्वारा बजट पेश किया जाता है, बजट है 18 लाख करोड़ का !
आप ऐसा समझ लीजिये की 28 फरवरी 2016 से अगले वर्ष 27 फरवरी 2017
तक ( एक वर्ष मे ) भारत की केंद्र सरकार देश मे 18 लाख करोड़ रूपये खर्च करेगी !

 

अगर 18 लाख करोड़ सरकार खर्च करेगी ,तो हम पहले ये जान ले की ये
18 लाख करोड़ सरकार ने कहाँ से जुटाया ??

 

तो मित्रो 18 लाख करोड़ मे से 1141575 ( 11 लाख 41 हजार 575 ) करोड़ रूपये इस देश की जनता ने सरकार को tax दिया है !!
tax थोड़ा विस्तार से जान लीजिये ! (आंखड़े करोड़ मे )
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निगम कर -( Corporation Tax )——–> 470628 करोड़

 

आय कर – ( Taxes on Income )——-> 327367 करोड़
सीमा शुल्क ( Customs )————-> 208336 करोड़
केंद्रीय उत्पाद ( Union Excise Duties ) —-> 229808 करोड़
शुल्क

 

सेवा कर Service Tax) —————–> 209774 करोड़
संघ राज्य क्षेत्रों के कर ( Taxes of union )—–> 3577 करोड़
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तो ये कुल सकल कर (Gross Tax Revenue) 14,49,490 करोड़

 

फिर इसमे राष्ट्रीय आपदा (NCCD ) घटा दिया जाता है –> 5690 – करोड़
और फिर थोड़ा राज्यो का हिस्सा घटाया जाता है ———-> 523958 – करोड़

 

और अंत भिन्न कर जोड़ा जात है————————> + 221733 करोड़
और अंत कुल घटा कर और जोड़ कर सरकार के पास पहुंचा 11,41,575 करोड़ !
तो 18 लाख करोड़ मे से 1141575 ( 11 लाख 41 हजार 575 ) करोड़ तो सरकार ने राजस्व जनता से tax से जुटाया !
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इसके अतिरिक्त सरकार सरकारी उदमों को कुछ कर्ज देती है .उसकी वसूली करती है
और कुछ public sector जैसे coal india ,NHPC ,BHEL आदि मे हिस्सेदरी बेच कर धन कमाती है जो Non-debt Receipts मे आता है
तो वहाँ से आया है = 80,253 करोड़ !

 

तो मित्रो tax का हो गया 1141575 ( 11 लाख 41 हजार 575 ) करोड़
और उसमे आप Non-debt Receipts जोड़ लीजिये 80,253 करोड़

 

तो कुल सरकार ने धन जुटाया 12,21,828 करोड़ !! जिसमे जनता ने tax दिया है
( 11 लाख 41 हजार 575 ) करोड़ !
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लेकिन क्या आप जानते है? सरकार ने 13,12,200 ( 13 लाख 12 हजार 200 ) करोड़
रूपये Non-Plan Expenditure ( आयोजना भिन्न व्यय ) पर खर्च कर दिया ?

 

अर्थात आपका सारा tax का पैसा तो Non-Plan Expenditure
मे ही खर्च हो गया
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ये Non-Plan Expenditure क्या होता है ???
Non-Plan Expenditure अर्थात व्यवस्था (system ) को चलाने का
खर्चा ?

 

कैसी व्यवस्था ?
पुलिस की व्यवस्था ,सेना की व्यवस्था कानून की व्यवस्था ,न्याय की व्यवस्था ,प्रशासन की व्यवस्था ,संसद की व्यवस्था , 543 MP की पगारे ,प्रधानमंत्री राष्ट्रपति ,उप राष्ट्रपतियों की पगारे,उनके महंगाई भत्ते ,सुरक्षा के खर्चे ,फोन के बिल ,हवाई जहाज के खर्चे ,अस्तपातालों के खर्चे , विदेशी यात्राओ के खर्चे , बिजली के बिल ,
(पिछले कर्जे के लिए व्याज पर खर्चा) , सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र बैंको मे काम करने वाले ,बीमा कंपनियो मे काम करने वाले ,डाक विभाग मे काम करने वाले ,आयकर विभाग मे काम करने उनकी मोटी-मोटी पगारे ,ऐसे अन्य public sector ! साल मे दो बार बढ़ता महंगाई भत्ता ,रिटायर्ड कर्मचरियों की पैनश्नों मे हर साल वृद्धि !!

 

और तो और सरकारी कर्मचारी तो 60 साल की आयु मे रिटायर्ड होता ! जबकि मंत्री एक बार चुनाव लड़े जीत जाए अगली बार लड़े हार जाए ,तो उसकी पेंशन लग जाती है सारी ज़िंदगी की ! चाहे कभी दुबारा चुनाव लड़े ना लड़े ! और सरकार के खजाने से मुंह मारते रहते है ये नेता !
तो मित्रो आप समझ लीजिये इस देश की दुर्दशा की आपके द्वारा सारा साल मे दिया गया direct tax और सुबह से शाम तक आप जो कुछ भी खरीदते उसके माध्यम से दिया गया indirect tax सरकार द्वारा जुटाया गया कुल राजस्व 12,21,828 ( 12 लाख 21 हजार 828 ) करोड़ है उससे भी 90372 करोड़ ज्यादा ( 13 लाख 12 हजार 200) ज्यादा सरकार ने तो Non-Plan Expenditure अर्थात व्यवस्था (system ) को चलाने मे खर्च कर डाला !
आपके लिए देश के विकास के लिए तो सरकार के पास फूटी-कोड़ी भी नहीं है ??
प्रभु श्री राम रामायण मे बोलकर गए है की व्यवस्था चलाने का खर्च कुल बजट का 5 %
से अधिक नहीं होना चाहिए ! और यहाँ राम राज्य के सबसे बड़े ठेकेदार हमारे नेता
कुल बजट का 75 से 80% व्यवस्था चलाने मे खर्च कर रहे है ! और कह रहे है हम राम राज्य
लाएँगे !

 

तो मित्रो अब आपके मन मे ये सवाल आएगा की बजट मे जो इतनी सारी घोषनाए हुई है
जो मीडिया मे भी दिखाई गई है की 100 करोड़ यहाँ खर्च होंगे,200 करोड़ वहाँ खर्च होंगे
500 crore यहाँ होंगे ,900 करोड़ वहाँ खर्च होंगे तो ये सब क्या है ??

 

तो इसके बारे मे भी आराम से जान लीजिये मित्रो ये क्या है ?
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जैसा की आप जानते है की कुल बजट है 18 लाख करोड़ का है !
वैसे तो 17,77,477 (17 लाख 77 हजार 477 ) करोड़ का है

 

जिसमे से 1141575 ( 11 लाख 41 हजार 575 करोड़ तो सरकार ने जनता से tax से जुटाया ! इसके अतिरिक्त Non-debt Receipts से जो आया था = 80,253 करोड़
दोनों को जोड़ के तो कुल सरकार ने जो धन जुटाया वो
12,21,828 (12 लाख 21 हजार 828 ) करोड़ है !! जो लगभग सारा का सारा non plan expendture मे गया !

 

लेकिन बजट मे सरकार को जो खर्च करना है वो है
17,77,477 (17 लाख 77 हजार 477 ) करोड़ !

 

तो 17,77,477 (17 लाख 77 हजार 477 ) करोड़ मे से
12,21,828 (12 लाख 21 हजार 828 ) करोड़ घटा दीजिये

 

तो बाकी 555649 ( 5 लाख 55 हजार 649 ) करोड़ कहाँ से आया ??
तो ये मित्रो 555649 ( 5 लाख 55 हजार 649 ) करोड़ सरकार ने
नया कर्ज लिया है !!

 

जी हाँ पूरे 555649 ( 5 लाख 55 हजार 649 ) का नया कर्ज !
आपकी जानकारी के लिए कह दूँ पिछले बजट से पहले हमारा देश पर 56 लाख करोड़ के कर्जे मे डूबा हुआ था फिर पिछले बजट मे मोदी सरकार ने 531177 ( 5 लाख 31 हजार 177 ) करोड़ का नया कर्ज लिया और कुल कर्जा 62 लाख करोड़ को पार कर गया !
और इस बजट मे मोदी सरकार 531177 ( 5 लाख 31 हजार 177 ) करोड़ कर्ज और नया कर्ज लेगी जिससे कुल कर्जा 68 लाख करोड़ को पार कर जाएगा !!

 

मुझे आशा है अब आपको सारी बात समझ मे आ गई होगी !
की बजट मे कुल खर्चा सरकार को करना है वो है !

 

17,77,477 (17 लाख 77 हजार 477 ) करोड़ !
सरकार ने जो कुल धन जुटाया था वो था 12,21,828 करोड़ उससे भी ज्यादा सरकार ने Non-Plan Expenditure अर्थात व्यवस्था (system ) को चलाने मे ही खर्च कर डाला !
विकास के लिए फूटी-कोडी नहीं बची तो उसके लिए 555649 ( 5 लाख 55 हजार 649 )करोड़ कर्ज ले लिया !
और ऐसे बन गया 17,77,477 (17 लाख 77 हजार 477 ) करोड़ करोड़ का बजट !
अर्थात मोटा मोटा 18 लाख करोड़ का बजट !
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और मित्रो अब जो मैं बात लिखने जा रहा हूँ शायद पढ़ते ही आपके
रोंगटे खड़े हो जाए और हो सकता है पहली बार मे आप विश्वास ही ना कर पाये !

 

तो मित्रो जैसा की मैंने ऊपर बताया 17,77,477 (17 लाख 77 हजार 477 ) करोड़ के
खर्चो को पूरा करने के लिए सरकार ने 555649 ( 5 लाख 55 हजार 649 करोड़
नया कर्ज तो ले लिया लेकिन पुराना जो 60 लाख करोड़ का कर्ज है तो उसका व्याज भी तो भरना है ??

 

तो मित्रो इस बार के बजट मे जो सबसे अधिक धन खर्च हुआ है
वो पिछले कर्जे का ब्याज भरने मे खर्च हुआ है ??

 

जैसे की आपने ऊपर पढ़ा की Non-Plan Expenditure मे पिछले कर्जे का ब्याज भी
आता है तो मित्रो इस बार सरकार ने आपके मेरे tax का 456145( 4 लाख 56 हजार 145 करोड़ ) तो पिछले कर्जे का ब्याज भरने मे खर्च कर दिया !!

 

सिर्फ ब्याज भरने मे 456145( 4 लाख 56 हजार 145 करोड़ )!
अर्थात मूलधन वही का वही खड़ा है और 456145( 4 लाख 56 हजार 145 करोड़ )
ब्याज मे चला गया !

 

और 555649 ( 5 लाख 55 हजार 649 )करोड़ करोड़ का नया कर्ज ले लिया !!
देश किस विकास की और बढ़ रहा है आप खुद अनुमान लगाइए मित्रो !!
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456145( 4 लाख 56 हजार 145 करोड़ ) एक वर्ष का ब्याज भरना
आप इसका अर्थ समझते हैं मित्रो ??

 

456145 करोड़ को 12 से भाग (divide) करिये
तो जवाब आएगा 38012 करोड़ ( 38 हजार 12 करोड़ ) एक महीने का ब्याज !
एक महीने मे 30 दिन !
अब इस 38012 करोड़ ( 38 हजार 12 करोड़ ) 30 से भाग (divide) करिये !
तो आ जाएगा 1267 करोड़ ब्याज (एक दिन का ब्याज) !
अब इस 1267 करोड़ को 24 से से भाग (divide) कर दीजिये
तो आएगा 52 करोड़ (एक घंटे का ब्याज )!
एक घंटे मे 60 मिनट ! तो कर दीजिये 52 करोड़ को 60 से भाग (divide) !!
तो आ जाएगा 86,66,666 ( 86 लाख रूपये एक मिनट का ब्याज ) !
एक मिनट मे 60 सेकेंड ! तो कर दीजिये 86 लाख को 60 से फिर भाग (divide) !
तो आ जाएगा 143000 ( 1 लाख 43 हजार रूपये ) 1 सेकेंड का ब्याज !
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सोचिए मित्रो सोचिए !जो देश प्रति सेकेंड 1 लाख 43 हजार रूपये का पुराने कर्जे का ब्याज भर रहा है वो किस विकास की और बढ़ रहा है ??
गंभीरता से सोचिए ! क्यों बिना कुछ जाने आप सरकारो की अंधभक्ति करने मे लगे है !
क्योंकि आपके लिए देश पीछे छूट गया है ? और सरकारे और नेता आपके लिए बड़े हो गए हैं
क्यों कल तक जो चीज आपको विनाश दिखती थी आज आपको विकास दिख रही है ??
आप सब जानते है की आप मे से बहुत से लोगो को बजट का अर्थ तक नहीं मालूम
तो फिर क्यों मात्र मीडिया मे दिखाई योजनाओ को ही बजट समझते है ??
और क्यों सिर्फ उन योजनाओ की घोषणाओ का ही गुणगान करते जा रहे है ???

 

जबकि वास्तविकता मे कुछ भी नहीं बदला है !
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अगर आप पिछले 2 मिनट से मेरी ये post पढ़ रहे तो समझ लीजिये
प्रति मिनट 86 लाख रूपये ब्याज के हिसाब से 1 करोड़ 72 हजार रूपये तो
पिछले कर्जे के ब्याज मे चला गया

 

किस भारत मे जी रहे है हम कल्पना करिए ?
क्यों इस देश की सरकारे विनाश को विकास बता रही है ?
गंभीरता से विचार करिये मित्रो गंभीरता से !!
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अब जो 555649 ( 5 लाख 55 हजार 649 करोड़ का नया कर्ज लेकर विकास
की योजनाओ की घोषणा हुई है उसमे भी देश को क्या मिलने वाला आपको एक उदाहरण से स्पष्ट कर देता हूँ !!

 

देश की कुल आबादी 120 करोड़ है जिसमे 52 % संख्या किसानो की है !
अर्थात आधी आबादी 62 करोड़ देश मे किसान है खेती से जुड़े है !!
इस बजट मे Agriculture and Allied Activities ( कृषि और सम्बद्ध क्रियाकलापों )
के लिए मात्र 11657 करोड़ रूपये रखे गए है !!

 

अर्थात 62 करोड़ किसानो के लिए 11657 करोड़ रूपये !
11657 करोड़ को 62 करोड़ किसानो मे बांटो !
अर्थात 188 रूपये प्रति किसान सरकार बजट मे से खर्च करेगी वो भी एक वर्ष मे !!
वैसे तो 11657 करोड़ भी सरकार द्वारा बजट मे लिए गए नए कर्जे के ही है !!
तो सोचिए मित्रो मात्र 188 रूपये प्रति वर्ष एक किसान के लिए
और वो भी तब अगर बिना किसी भ्रष्टाचार के खर्च किए जाए !!
एक वर्ष मे मात्र 188 रूपये एक किसान के ऊपर खर्च करके सरकार किसानो की
क्या हालत सुधारेगी किसानो का क्या विकास करेगी ?
आप कल्पना कर सकते हैं मित्रो

 

जो किसान पूरे देश का पेट भरता है वो खुद भूख से मरता है
आत्मह्त्या करता है !

 

जिसके घर की छत टपकती है वो खुद बारिश का इंतजार करता है !!
ऐसी ही सरकार ने सिंचाई (Irrigation and Flood Control )की व्यवस्था के लिए
772 करोड़ खर्च करेगी !!

 

बजट से पहले आर्थिक सर्वेक्ष्ण की रिपोर्ट का एक हिस्सा पढ़िये !!
देश 12 करोड़ हेकटियर ऐसी जमीन है जहां अभी खेती होती है 2007 तक ये
17 करोड़ हेकटियर थी !

 

तो आप कहेंगे 5 करोड़ हेकटियर कृषि जमीन कहाँ गई ??
ये 5 करोड़ हेकटियर जमीन सरकार ने SEZ ( special economic zone )
नाम पर बड़ी- बड़ी कंपनियो को देदी ! और कुछ यूरिया ,DAP डालने से बिलकुल
बंजर हो गई ! ऊपर से वितमंत्री ने इस बार के बजट मे स्पष्ट कर दिया SEZ जारी रहेंगे !
अर्थात आने वाले दिनो मे और जमीन कम होने वाली है बहुत सी किसानो की जमीन बुलेट ट्रेन के लिए जापानी कंपनियो को दी जानी है !अब 12 करोड़ हेकटियर जमीन ही बची है कृषि के लिए !

 

उसमे से मात्र 5 करोड़ हेकटियर जमीन पर ही सिंचाई की व्यवस्था है !
बाकी 7 करोड़ हेकटियर आधी से अधिक जमीन पर खेती सिर्फ भगवान भरोसे है
अर्थात बारिश हो गई तो फसल आ जाएगी ,बारिश नहीं होगी तो फसल मर जाएगी !!

 

और अगर एक महीना देरी से बारिश हुई तो बीज जो खेत मे डाला हुआ है पूरी तरह खराब हो जाएगा तो ऐसे हालत है देश मे सिंचाई की !! आजादी के 67 साल बाद भी हम देश के किसानो के लिए सिंचाई की कोई व्यवस्था नहीं कर पाये है ! आज भी हमारे किसान सिंचाई के लिए पानी के लिए आसमान की तरफ उम्मीद लगाए देखते रहते हैं !
ऐसे मे सरकार ने मात्र 772 करोड़ रूपये सिंचाई के लिए रखे !
अर्थात प्रति किसान 12 रूपये प्रति वर्ष सिंचाई के लिए सरकार खर्च करेगी !!

 

आप खुद अनुमान लगा लीजिये मात्र 12 रूपये प्रति वर्ष एक किसान के खेत मे सरकार
क्या सिंचाई की व्यवस्था कर पाएगी ??   क्या उसका विकास कर पाएगी ?

 

हर वर्ष 1 करोड़ 80 लाख नये बच्चे देश मे जन्म ले रहे है एक देश है उसका नाम है नीदरलैंड उसकी आबादी 1 करोड़ 70 लाख है अर्थात हर वर्ष 1 नीदरलैंड हमारे बीच जुड़ जाता है !
1 करोड़ 80 लाख ने नये मुंह प्रति वर्ष रोटी के लिए खुल जाते है ! ऐसे मे आज हम
बजट मे किसानो के लिए कृषि की व्यवस्था नहीं करेंगे सिंचाई की व्यवस्था नहीं करेंगे खेती की जमीन SEZ के नाम पर देते जाएंगे तो कल अनाज के लिए फिर हमको विदेशियों से भीख मांगनी पड़ेंगी !! जैसे किसी समय अमेरिका से PL 49 के नाम से सड़ा हुआ गेहूं आता था जिसे अमेरिका मे सूअर भी नहीं खाते थे वो हम भारतीयो को खाना पड़ता था ! वो तो भला हो शास्त्री जी का जिनहोने इसे रुकवाया देश मे अन्न उत्पादन बढ़ाया !
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तो मित्रो देश की जनता के लिए चल रही ये सारी व्यवस्था,प्रशासन अपने ऊपर 13 लाख करोड़ रूपये खर्च कर रही और देश की आधी आबादी 62 करोड़ किसानो के लिए मात्र 11657 करोड़ रूपये वो भी कर्जा लेकर ! और वो भी 187 रूपये प्रति किसान

 

ये विकास हो रहा है या विनाश गंभीरता से सोचना मित्रो गंभीरता से !
ये तो खेती और सिंचाई का हाल बताया ऐसा ही हाल सड़क ,स्वास्थ्य ,शिक्षा ,ग्रामीण विकास आदि योजनाओ आदि का है !
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सरकार एक और बात कहती है की प्रतिवर्ष लगभग 70 हजार करोड़ की सबसिडी
किसानो के लिए केंद्र सरकार द्वारा दी जाती है !

 

सुनने मे कितना अच्छा लगता है किसानों को
70 हजार करोड़ की सबसिडी !

 

लेकिन दी कैसे जाती है वो जान लीजिये !
दरअसल सबसिडी यूरिया ,डीएपी ,जैसे जहरीले खाद और कीटनाशक बनाने वाली कंपियों को दी जाती ताकि वो किसानों को जहर सस्ते मे बेचे ,जिसे वो अपने खेतो मे डाले ,कर्जे मे दबे, खुद आत्महत्या करे बाद मे वो फल सब्जियाँ खाकर लोग बीमार पड़े ,फिर विदेशी दवा
कंपनियो को फाइदा हो और फिर देश की आम जनता भी मरे !

 

आपके ही tax का पैसा आपको मारने के लिए किसान को मारने के लिए
खर्च होता है

 

लेकिन ये 70 हजार करोड़ किसानों को गाय के गोबर-गौ मूत्र से खेती करने
के लिए नहीं खर्च किया जा सकता !! उल्टा पिछले बजट मे मोदी सरकार ने
कत्ल करने वाली मशीनों पर उत्पादन शुल्क 10 % कम कर 6 % कर दिया

 

गौ ह्त्या रोकना तो दूर आपके tax के पैसे से कत्लखानो को सबसिडी दी जाती है !
इससे अधिक शर्मनाक ,और नीच बात क्या होगी

 

ये विकास हो रहा है या विनाश गंभीरता से सोचना मित्रो गंभीरता से !
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आर्थिक सर्वेक्ष्ण की रिपोर्ट मे कहा गया है हर वर्ष 60 से 65 लाख बच्चे
ग्रेजुएशन करके निकल रहे है और 30 से 35 लाख हाई सेकेन्डरी करके निकल रहे है
ऐसे मे प्रति वर्ष 1 करोड़ नए रोजगार चाहिए ! जबकि इसके उल्टा 30 लाख रोजगार खत्म हो
रहे है ऐसे मे नए रोजगार की व्यवस्था कैसे होगी ??
पैसा कर्जे का ब्याज भरने और व्यवस्था चलाने मे खर्च हो गया है !!

 

ये विकास की तरफ हम बढ़ रहे है या विनाश की तरफ ??
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रक्षा बजट मे सरकार ने 24 हजार करोड़ और बड़ा दिये !

 

हथियारो की खरीद के लिए मात्र 12 करोड़ ही बढ़ा है ! बाक़ी 12 हजार अन्य खर्चो के
लिए बढ़ा है !
क्या होगा मात्र 12000 करोड़ बढ़ाने से ???

 

एक अग्नि 5 मिसाईल जो भारत ने बनाई है जो 5000 किलो मीटर तक मार
कर सकती है उसकी लागत 2500 करोड़ रूपये प्रति मिसाईल है !

 

तो सोच लीजिये 12000 हजार करोड़ से साल मे गिनती की 5 मिसाईल बनेगी
वो भी तब जब 5 हजार करोड़ पूरी ईमानदारी से खर्च किया जाएगा !
ऊपर से रक्षा क्षेत्र मे 49% FDI की मंजूरी दे दी गई है
26% मनमोहन सिंह ने दी थी इनहोने बढ़ा कर 49 % कर दी !
आपकी जानाकारी के लिए कह दूँ ये 49 % FDI technology transfer मे नहीं
मात्र पूंजी निवेश आ रही है !

 

तो क्यों बुला रहे है विदेशियों को पूंजी निवेश के लिए ??
क्योंकि हमारे पास पूंजी नहीं है !
कहाँ गई पूंजी ??? 1 लाख 43 हजार रूपये प्रति सेकेंड को कर्जे
का ब्याज भरा जा रहा है वहाँ चली गई

 

13 लाख करोड़ व्यवस्था चलाने मे जा रहा है तो वहाँ चली गई !!
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तो मित्रो देश की सरकारे तो पुराने कर्जे का ब्याज भरने और व्यवस्था चलाने मे आपके tax का सब धन खर्च कर रही है किसानो और सीमा पर खड़े जवानो को क्या मिल रहा है
आप खुद अनुमान लगा लीजिये !

 

ये विकास हो रहा है या विनाश फिर गंभीरता से सोचना मित्रो गंभीरता से !!
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बजट 18 लाख करोड़ का है पैसा सरकार ने लगभग 12 लाख करोड़ जुटाया !
5 -6 लाख करोड़ कर्ज लिया (जो राजकोषीय घाटा है ) अभी उसे पूरा करने या
कम करने के प्रयास मे सरकार इधर-उधर मुंह मारती रहती है और योजना बनाती रहती है की लोगो से और ज्यादा tax कैसे वसूला जाए !इसीलिए service tax 12 से 14 %कर दिया है ! service tax सीधा बोझ आपकी जेब पर पड़ेगा !! सरकार को मात्र 5 से 6 हजार करोड़ अगले बर्ष ज्यादा मिलेंगे ! इतने से क्या होगा ? जबकि घाटा 5 लाख 55 हजार करोड़ का है !

 

सरकार व्यवस्था चलाने का खर्च कम नहीं करेगी !! नेताओ की पगारें ,अपने खर्चे नहीं घटाएगी साल मे 2 -2 बार महंगाई भत्ते बढ़ाएगी !
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ऐसी ही सरकार बजट का घाटा कम करने के लिए और अन्य हथकंडे अपनाती रहती है
भारत सरकार के पास पिछले 67 साल मे आपके tax से खड़े किए हुए 251 PSU है ! PSU अर्थात public sector undertakings ! जैसे BHEL ( bharat heavy electricals limited )
COAL INDIA
,NHPC,
GAIL INDIA,
AIR INDIA,
Bharat Electronics,
(NTPC) National Thermal Power Corporation ,MMTC ऐसे 251 public sector है !

 

जो की सरकार की आय का एक बहुत बड़ा स्त्रोत है ! घाटा पूरा करने के लिए सरकार क्या करती है इसमे अपनी हिस्सेदारी कम कर इसे बेचना शुरू कर देती है !
आपने अखबरों मे अक्सर ऐसे खबर पढ़ी होगी disinvestment (विनिवेश ) से सरकार जुटाएगी 35 हजार करोड़ ,40 हजार करोड़ ! तो इस विनिवेश का अर्थ क्या है ? सीधा सा अर्थ है निवेश का उल्टा विनिवेश अर्थात अपना पैसा निकाल लेना अपनी हिस्सेदारी कम देना ,बेच देना !!
साधारण भाषा मे समझिए ! आपकी 10 दुकाने है और आप उसमे 80% के हिस्सेदार है !
एक साल मे आपको उसमे से 10 लाख की कमाई होती है ! 80 % हिस्सेदारी के कारण
आपको 8 लाख रूपये प्रति वर्ष मिल रहा है ! एक दिन आपने क्या करा 10 मे से 5 दुकाने 25 लाख की बेच दी ! और शोर मचा दिया की मैंने तो 25 लाख जुटा लिए ! मैंने तो 25 लाख जुटा लिए !

 

लेकिन ये नहीं बताया की अपनी जायदाद बेचकर जुटाये है !! आज तो आपने 25 लाख एक साथ जुटा लिए लेकिन हर वर्ष जो 10 दुकानों मे से जो आपको 80 % के हिसाब से 8 लाख की कमाई हो रही थी अब वो भी तो आधी रह जाएगी ! ये आपने बताया नहीं !!
ऐसे ही सरकार बजट घाटा कम करने के लिए 251 PSU (PUBLIC )मे अपनी हिस्सेदारी लगातार प्रति वर्ष कम करती जा रही है बेचती जा रही है और शोर मचा रही है की हमने इतने हजार करोड़ जुटाये ! लेकिन ये नहीं बताया की अपनी आय का स्त्रोत भी तो कम कर लिया !! और उस जुटाये हुए पैसे को कहीं और निवेश नहीं करना बल्कि बजट का घाटा कम करना है !
दुनिया के और देश की सरकारे भी थोड़ा बहुत अपने अपने PSU मे विनिवेश करती है !
लेकिन भारत सरकार ने पूरा एक मंत्रालय बना Department of Disinvestment – Ministry
tongue emoticon ये बताता रहता है की भारत सरकार कहाँ कहाँ से अपनी हिस्सेदारी कम करे ! और Public sector बेचती जाए !

 

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मित्रो आज 10 ग्राम सोने की कीमत 27000 रु है
हम 30 हजार मान के चलते है !
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10 ग्राम सोना 30 हजार का,

 

100 ग्राम सोना 3 लाख का ,
और 1 किलो सोना 30 लाख का,
10 किलो सोना 3 करोड़ का,
100 किलो सोना 30 करोड़ का,
1000 किलो सोना 300 करोड़ का,
10,000 किलो सोना 3000 करोड़ का
1,00,000 (एक लाख ) किलो सोना 30000 करोड़ का
1,000,000( 10 लाख) किलो सोना 300000 (तीन लाख ) करोड़ का !
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तो मित्रो 10 लाख किलो सोने की कीमत होगी 300000 (तीन लाख ) करोड़ !
तो 20 लाख किलो सोने की कीमत 600000 (छ लाख ) करोड़ !
तो 40 लाख किलो सोने की कीमत होंगी 1200000( 12 लाख करोड़ )!
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देश की जनता ने अपने खून पसीने की कमाई से 2015-16 के बजट मे केंद्र की मोदी सरकार को 1141575 ( 11 लाख 41 हजार 575 ) का ( लगभग 12 लाख करोड़ ) का tax दिया है !!

 

अर्थात जितना tax भारत की जनता ने इस बजट मे सरकार को दिया है मोदी सरकार इससे 40 लाख किलो सोना खरीद सकती है ! फिर भी प्रधानमंत्री साहब कटोरा लेकर चीन ,जापान अमेरिका भाग रहे है विदेशी पूंजी के लालच मे ??
क्योंकि अपनी पूंजी व्यवस्था चलाने मे लगा दी ! कर्जे का व्याज भरने मे लगा दी !!
फिर भी पेट नहीं भरा तो service tax और बढ़ा दिया ! रेल बजट मे माल भाड़ा बढ़ा दिया !
80 % माल रेल से आता है सब महंगा !! राजस्थान मे तो कई जिलों मे पानी रेल से आता है सोचिए उन लोगो पर क्या बीतेगी ??
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मित्रो क्या आपने कभी ये खबर सुनी या पढ़ी?? की ये नेता भूख से मर गया ??
एक बात याद रखना मित्रो आजतक कोई भी नेता इस देश मे भूख से नहीं मरा है
भूख से इस देश का किसान ,जवान और आम आदमी ही मरता है !
नेता कभी भूख से नहीं मरा !

 

अगर ये नेता संकल्प ले ले की जब तक देश की आर्थिक हालत सुधार नहीं जाती तब
तक 3-4 साल पगार नहीं लेंगे तो क्या आफत आ जाएगी ?? वैसे भी तो ये लोग बोलते है
राजनीति सेवा है ! तो सेवा का पैसा कैसा ?

 

सरकारी कर्मचारी पहले से ही इतनी इतनी पगार पाते है और सरकार साल मे दो बार महंगाई भत्ता क्यों बढ़ा देती है ??
क्या महंगाई सिर्फ 3 साढ़े 3 करोड़ सरकारी कर्मचारियो के लिए ही बढ़ती है ??
120 करोड़ जनता से tax वसूल कर मात्र 2 से 3 करोड़ लोगो के लिए साल मे दो
बार महंगाई भत्ते बढ़ाना कौन सी समझदारी है ???

 

अगर इन सब फालतू खर्चो को कुछ वर्ष के लिए बंद कर दिया जाए ऐसा करने से इतना भला देश का हो जाएगा आप कल्पना नहीं कर सकते ! बचा हुए पैसे से हम रक्षा बजट बढ़ाएँगे ,किसानो पर लगाएंगे कृषि पर लगाएंगे ,सिंचाई पर लगाएंगे ! पगारे सिर्फ सीमा पर लड़ने वाले सैनिको की ही बढ़ाई जाएँ ! जिसके सर पर हर समय मौत तांडव कर रही है और वो आपके लिए सीमा पर खड़ा है !
गौ ह्त्या को रोक कर किसानो को गाय के गोबर गौ मूत्र से खेती करना सिखाया जाए !
जिससे 70 हजार करोड़ सबसिडी का बचे ! और 5 लाख करोड़ किसानो का बचे जो ये जहर खेतों मे डाल रहे है ! और लाखो करोड़ दवाओ का भी बचेगा क्यों की हमको जहर वाली फल सब्जियाँ नहीं खानी पड़ेगी !!

 

सरकार विदेशो मे जमा 220 लाख करोड़ का काला धन वापिस लाये और उससे 60 लाख करोड़ का कर्ज उतारे कर्ज उतरते ही इस देश का 1 रुपया 1 डालर बराबर हो जाएगा !!
क्योंकि जब जब आप world BANk,IMF से कर्ज मांगने जाते है आपको अपनी रुपए की
कीमत डालर की तुलना मे कम करनी पड़ती है ! और कितनी गिरानी पड़ेगी ? इसका कोई फार्मूला नहीं है World bank,IMF जितना बोलता है उतना सरकार गिरा लेती है !

 

1947 को देश आजाद हुआ 1 रुपया 1 डालर बराबर था ! 1952 मे पहला बजट नेहरू ने कर्ज लिया और एक डालर 7 रूपये का हो गया और फिर ये सिलसिला चलता रहा और आज 1 डालर 60 रूपये का हो गया है ! कर्जा बढ़ता गया तो रुपया गिरता जाएगा !!
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और अंत मे सबसे महत्वपूर्ण बात !

 

मान लीजिये किसी कैलकुलेटर मे किसी ने कुछ गरबड़ी कर दी !
और उस कलकुलेटर मे 2 और 2 जोड़ने पर 5 आ रहा है !

 

अब उस कलकुलेटर को आप नेहरू के हाथ मे दीजिये तो भी 2 और 2 जोड़ने पर परिणाम 5 आएगा !मनमोहन के हाथ मे दीजिये तो भी परिणाम 5 आएगा और मोदी के हाथ मे दीजिये तो भी परिणाम 5 ही आने वाला है ! केजरीवाल के हाथ मे दे दीजिए तब भी 2 और 2 पाँच ही आने वाला है !
अर्थात कलूलेटर कोई भी चलाये परिणाम एक जैसा ही आने वाला है क्योंकि समस्या कलकुलेटर चलाने वाले मे नहीं बल्कि कलकुलेटर मे ही है ! इसलिए जबतक कलकुलेटर नहीं बदला जाएगा परिणाम वही रहेगा !
67 साल से हम देश मे कलकुलेटर चलाने वाले को बदल रहे है कलकुलेटर नहीं बदल रहे!
67 साल से हम इस देश मे ड्राईवर बदलते है आ रहे है लेकिन गाड़ी नहीं बदल रहे !!
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ये सारी व्यवस्था नीतियाँ और 34735 कानून अंग्रेज़ो ने भारत की लूट करने के लिए लोगो के साथ अन्याय करने के लिए ,शोषण करने के लिए बनाए थे ,अब व्यवस्था मे आप नेहरू को बैठा दो ,मनमोहन सिंह को बैठा दो ,या मोदी को या केजरीवाल को ! बिना व्यवस्था बदले देश की किसी समस्या का समाधान नहीं होने वाला !

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