सर्वप्रथम न्यूज़ सौरभ कुमार : पांच वर्षों में कृत्रिम किडनी भारत में मिलने लगेगी। इस मशीन का फिलहाल अमेरिका में परीक्षण किया जा रहा है। भारत के लिए यह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां हर वर्ष बड़ी संख्या में किडनी की बीमारी बढ़ रही हैं। देशभर में हर साल आठ से दस हजार किडनी प्रत्यारोपण की सर्जरी होती है, जबकि सालाना करीब एक लाख लोगों को किडनी प्रत्यारोपण की जरूरत होती है। कृत्रिम किडनी के आ जाने के बाद किडनी फेल की वजह से होने वाली मौतों की संख्या यूरोलॉजिस्ट डॉ. संजय गर्ग ने ग्रेटर नोएडा के क्राउन प्लाजा होटल में चल रहे यूरोलॉजी सोसायटी ऑफ इंडिया के नॉर्थ जोन वार्षिक सम्मेलन में गुरुवार को दैनिक जागरण से हुई बातचीत में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अमेरिका में वैज्ञानिकों ने कृत्रिम किडनी तैयार कर ली है और उनका परीक्षण चल रहा है। अगले दो साल में परीक्षण की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी और पांच वर्षों में यह भारत में उपलब्ध होगी। एक बार किडनी खराब हो जाए तो या तो दूसरी किडनी की जरूरत होती है या जीवित रहने तक अस्पताल जाकर डायलिसिस करानी पड़ती है। इसमें काफी समय और पैसा लगता है। किडनी की उपलब्धता भी भारत में बड़ी चुनौती है।
सामान्य किडनी की तरह करेगी काम
डॉक्टर गर्ग ने बताया कि इसे पेट में किडनी के नीचे के हिस्से में लगाया जाएगा। इसमें एक सिरे में लगे छोटे पाइप को खून की धमनियों और दूसरे छोर पर लगे पाइप को मूत्राशय में फिट किया जाएगा। यह सामान्य किडनी की तरह रक्त को साफ करेगी, हार्मोंस को नियंत्रित और ब्लड प्रेशर को काबू रखने में मदद करेगी। किडनी प्रत्यारोपण के लिए किडनी दाता और मरीज के ब्लड ग्रुप, टिश्यू टाइप का मिलान कराना होता है। इसके बावजूद मरीज की प्रतिरक्षा प्रणाली पर काफी असर पड़ता है, क्योंकि उसका शरीर दूसरे की किडनी को स्वीकार करने में समय लेता है। कृत्रिम किडनी के साथ ये समस्याएं कम होंगी। डायलिसिस की तुलना में भी यह काफी बेहतर है। इसे बनाने में ऐसे पदार्थ का इस्तेमाल हो रहा है जो शरीर के लिए बिल्कुल हानिकारक नहीं होगा। जैसा कि आमतौर पर हर इनोवेशन (नवाचार) में होता है, शुरुआत में इसकी कीमत भी थोड़ी महंगी होगी। अनुमान है कि भारत में यह 15 से 20 लाख रुपये में उपलब्ध होगी।