सर्वप्रथम न्यूज़ सौरभ कुमार : भारत सरकार सामाजिक कल्याण न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने यह प्रस्ताव दिया था की नई दिव्यांग अधिनियम 2016 में जो गड़बड़ी है विभाग का ध्यान आकर्षित कीजिए और उसे सुधारने का निवेदन कीजिए तो हम निवेदन करना चाहते हैं भारत सरकार सामाजिक कल्याण एवं अधिकारिता मंत्रालय से की दोनों आंख से दिव्यांग जो 100% है उन्हें कोई भी नौकरी आसानी से प्राप्त हो जाती है और विभाग उन्हें स्वीकार कर लेता है एवं वह नौकरी करने योग्य माने जाते हैं वही अगर हम शारीरिक दिव्यांगों की बात कर ले तो हम पाते हैं कि इसकी प्रतिशत को देने के लिए विभिन्न प्रकार के सर्कुलर बने हुए हैं जिसमें यह स्पष्ट रूप उल्लेखित है की किस परिस्थिति में कितने प्रतिशत दिव्यांगता देना है डॉक्टरों को लेकिन इस सर्कुलर का पूरे भारत में कहीं पालन होता नहीं दिख रहा है सही तरीके से बहुत सारे ऐसे डॉक्टर है जिन्हें इस सर्कुलर के बारे में पता भी नहीं है मैं कहना चाहता हूं विभाग से की जिस प्रकार सभी दिव्यांगों को मापने के लिए यंत्र के सहायता से प्रतिशत दिया जाता है उसी प्रकार शारीरिक दिव्यांगों को भी यंत्र के सहायता से दिव्यांग प्रतिशत देने की पद्धति का आरंभ हो क्योंकि अक्सर यह देखा जाता है कि कोई दिव्यांग 40% बेंचमार्क डिसेबिलिटी तक ही नाता है और उन्हें 60% दिव्यांग था डॉक्टरों के द्वारा दे दी जाती है कहीं-कहीं तो इतना पक्षपात होता है वह दिव्यांग श्रेणी में सम्मिलित करने योग्य होते हैं परंतु डॉक्टर की राय उन्हें दिव्यांग श्रेणी में सम्मिलित करने का नहीं होता है तो 38% दे बेंचमार्क डिसेबिलिटी से इधर ही रोक दिया जाता है जिसके कारण उन्हें दिव्यांग का कोई लाभ नहीं मिल पाता यहां पर दिव्यांग बेंचमार्क डिसेबिलिटी का लाभ नहीं मिल पाता उसके बाद दूसरा पक्षपात शारीरिक दिव्यांग के साथ नौकरी में होता है नौकरी में स्पष्ट रुप सेलिखा होता है कि हम इतने प्रतिशत से ऊपर के दिव्यांगों को नहीं लेंगे जो हमारे काम के नहीं है यहां पर दिव्यांग अधिनियम 2016 में सुधार की आवश्यकता है जब दोनों आंख से दिव्यांगों को आप 100% पढ़ ले सकते हैं तो वैसे दिव्यांग जो अपना काम स्वयं करते हैं और डॉक्टर की इच्छा पर होता है कि वह कितना प्रतिशत उस शारीरिक दिव्यांग को दे देता है तो उसके आधार पर आप किसी शारीरिक दिव्यांग को अयोग्य घोषित करते हैं इस नियम में दिव्यांग अधिनियम 2016 में सुधार की आवश्यकता है ताकि शारीरिक दिव्यांगों को उनके मौलिक और संवैधानिक अधिकारों से जोड़ा जाए। यह पीडा लगभग देश के 80% शारीरिक दिव्यांगों की है इसलिए इस पर विशेष चर्चा होनी चाहिए और दोनों आंख से दिव्यांंग छात्र की तरह नौकरियों में शारीरिक दिव्यांगों को भी दिव्यांग का प्रतिशत पर नहींअयोग्य घोषित किया जाए एवं शारीरिक दिव्यांग को जो 100% पर मृत के समान माना जाता है यह भारतीय संविधान गलत नियम है कि किसी भी जिंदा मानव को के समान मानने इसमेंं सुधार की आवश्यकताहै भारतीय संविधान में प्रत्येक व्यक्ति एक समान है और कोई बोझ नही इसका विशेष ख्याल रखा जाए ।
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