बिहार में दिव्यांग लाइब्रेरियन के साथ हो रहा है बहुत बड़ा अन्याय

सर्वप्रथम न्यूज़ सौरभ कुमार : 12 साल से स्कूल में लाइब्रेरियन के पोस्ट पर कोई बहाली नहीं आई बिहार में एवं 2008 में अंतिम बार बहाली आई थी जिसमें छात्रों कुल सीट- 2547 मे 1896 छात्रों की नियोजन हो चुका है एवं कब से लेकर अब तक बैकलॉग की एक भी सीट को खोला नहीं गया जबकि यहां पर दिव्यांग अधिनियम 2016 का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है केंद्र सरकार के द्वारा शिक्षण संस्थान को 5% आरक्षण देने की बात कही गई है लेकिन विभाग कहता है कि मैं 2008 के सर्कुलर के अनुसार ही नियुक्ति करूंगा तो उस समय तो दिव्यांग अधिनियम 2016 का खुलेआम उल्लंघन हुआ है अगर 2008 के तर्ज पर अकड़ दिव्यांगों के नियुक्ति होती है तो मात्र 3% दिव्यांगों को नियुक्त किया जाएगा जबकि केंद्र सरकार ने दिव्यांगों को 5% आरक्षण देने की बात स्पष्ट रूप से कहा है यहां पर भारतीय संविधान एवं दिव्यांग अधिनियम 2016 का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है उसके अलावा बिहार सरकार ने यह भी कहा था कि जिस विद्यालय में 5000 से अधिक पुस्तक होंगे वहां एक लाइब्रेरियन की नियुक्ति होगी जो आज तक नहीं हो पाई उसके अलावा बिहार में आज प्राइमरी मिडिल स्कूलों की संख्या आप देखें तो 7000 वहां दिव्यांग लाइब्रेरियन एक भी नियुक्त नहीं है वही लाइब्रेरियन का कोर्स का पढ़ाई करने वाले दिव्यांगों की स्थिति बद से बदतर इसलिए हमारा निवेदन है इस पर केंद्र सरकार को पहल करने की आवश्यकता है ताकि जो दिव्यांग है और लाइब्रेरियन है और जो कई वर्षों से लाइब्रेरी की डिग्री हासिल करके बैठे हुए हैं और उन्हें अपना संवैधानिक अधिकार नहीं मिल पा रहा है उसके लिए सरकार को सार्थक कदम उठाने की आवश्यकता है तोशियास संस्था सचिव सौरभ कुमार इस समस्या को लेकर राज्य के शिक्षा मंत्री किस नंदन वर्मा से बात करके समस्याया का समाधान करेंगे क्योंकि नहींं अन्याय करेंगे नहीं सहेंगे दिव्यांगों की मुस्कान हैै हमारी पहचान ।

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