सर्वप्रथम न्यूज़ सौरभ कुमार :ज्यादातर नेत्रहीन लोगों की आंखें कुछ हद तक चीजों को देख सकती हैं. काला चश्मा इन्हें चीजों को देखने में और मदद करता है. आंखों की रोशनी जाने के बाद लोगों को प्रकाश से एक तरह की दिक्कत महसूस होती है, इसे फोटोफोबिया कहते हैं. इस डर से बचने के लिए भी इन्हें काला चश्मा पहनने की सलाह दी जाती है. रिपोर्ट कहती है, सूर्य से निकलने वाली अल्ट्रावायलेट किरणें नेत्रहीन लोगों की आंखों को और डैमेज कर सकती हैं. इसलिए इन्हें काला चश्मा पहनने की सलाह दी जाती है. एक रिसर्च के मुताबिक, सूर्य की किरणें मोतियाबिंद और मैकुलर डीजनरेशन का खतरा बढ़ताी हैं. मोतियाबिंद आंखों की रोशनी जाने का सबसे कॉमन कारण है. इसलिए आमलोग भी आंखों को तेज धूप से बचाने के लिए भी काले चश्मे का प्रयोग करते हैं.काला चश्मा यह बताता है कि वो शख्स आंखों की बीमारी से जूझ रहा है, इसलिए लोग उसकी मदद करते हैं और उनको समझ भी पाते हैं. यह भी काला चश्मा लगाने का एक कारण बताया गया है. इसके अलावा यह चश्मा उनकी आंखों को धूल-मिट्टी और किसी तरह की इंजरी होने से बचाने का काम भी करता है.
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