सर्वप्रथम न्यूज़ सौरभ कुमार : बिहार राज्य में दिव्यांगजनों को विकलांगता प्रमाणपत्र बनाने में परेशानी नहीं होगी. समाज कल्याण विभाग की ओर से एक प्रस्ताव तैयार किया गया है, जिसे लागू होने के बाद राज्य के सभी अस्पतालों में जन्म लेने के बाद बच्चे में दिव्यांगता मिलती है. तो उस बच्चे का प्रमाणपत्र उसी अस्पताल में बन जायेगा. बड़े होने पर उसी प्रमाणपत्र के आधार पर उसे लाभ मिल पायेगा. इसके लिए सभी अस्पतालों को समाज कल्याण एवं स्वास्थ्य विभाग की और से निर्देश दिये जायेंगे. अस्पतालों में इसके लिए हर दिन बोर्ड बैठेगी, ताकि दिव्यांग बच्चों का जन्म प्रमाणपत्र बन जाये इसकी स्वीकृति जल्द सरकार से ली जायेगी. अभी की व्यवस्था में दिव्यांगता प्रमाणपत्र बनाने के लिए हर जिले में सिविल सर्जन ऑफिस व जिला अस्पतालों में आवेदन करना ले पाते हैं. प्रमाणपत्र के बिना हो रही थी दिक्कत समीक्षा में यह बाते भी सामने आती है कि दिव्यांगजन सरकारी योजना का लाभ लेने में वे काफी पीछे है, जिसका सबसे बड़ा कारण प्रमाणपत्र है. ऐसे में विभाग की सोच है कि दिव्यांगता प्रमाणपत्र जन्म के साथ ही बन जाये और बाद में रिन्यूअल कर दिया जाये. होता है. यहां दिव्यांगता जांच करने वालों में कई लोग ऐसे होते हैं, जो नियमों का हलावा देकर प्रमाणपत्र बनाने में देर करते हैं. इस कारण दिव्यांगों को बड़ी परेशानी होती है और वे योजनाओं का लाभ तक नहीं
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