दिव्यांग बच्चे कौन कौन सा खेल खेल सकते हैं या सिर्फ भ्रष्टाचार का ही खेल खेला जाता है।

सर्वप्रथम न्यूज़ सौरभ कुमार : बिहार राज्य में दिव्यांग खेल बहुत ही अधिक भ्रष्टाचार का भेंट चढ़ गया है यहां खेल और खिलाड़ी की प्रतिभा को नहीं देखा जाता बल्कि उनके जेब में कितना पैसा है और उसे हिसाब से एक मैच खेलने का पैसे का निर्धारण होता है एक तरफ राज्य सरकार से भी पैसे की उगाई की जाती है केंद्र सरकार से भी पैसे क्यों कहीं की जाती है खेल विभाग से भी पैसे क्यों कहीं की जाती है खेलने वाले खिलाड़ी से भी खुलेआम पैसे लिए जाते और सम्मान चिन्ह और सम्मान पत्र प्राप्त करने के लिए भी पैसे लिए जाते हैं यह बात छोड़ भी दे तो लिए हम बिहार के स्कूलों में जो खेल परिसर जो नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है और पैसों का गलत आवंटन किया जा रहा है इसका आपको आंकड़ा देना चाहता हूं बिहार में सरकारी स्कूलों के पास भवन व चहारदीवारी नहीं है, इसके बावजूद खेल गतिविधियों पर स्कूलों ने तीन साल में एक अरब 91 करोड़ पांच लाख रुपए से अधिक खर्च कर दिए।इतना ही नहीं कोरोना काल में जब स्कूल बंद रहा, उस दौरान भी स्कूलों ने खेल गतिविधियों पर 60 करोड़ से अधिक की राशि खर्च कर दी। स्कूलों की यह लापरवाही अब सूचना के अधिकार के तहत मांगी जानकारी से सामने आई है।बता दें कि राज्य भर में 5681 ऐसे स्कूल हैं जिनके पास ना तो भवन है और ना ही अपनी जमीन। ये स्कूल अन्य स्कूल भवन में चल रहे हैं। स्कूलों के पास भवन नहीं और खेल पर 1.9 अरब रुपए खर्च यह विभाग के संज्ञान में भी आया है। भवन हीन और बिना चहारदीवारी के स्कूलों से इसकी पूरी जानकारी मांगी है। साथ में 2020 से 2021 तक जब कोरोना संक्रमण के कारण स्कूल बंद था तो स्कूल में खेल गतिविधि कैसे करवाई गयी, इसकी भी रिपोर्ट स्कूलों से तलब की गई है। 31552 स्कूलों में चहारदीवारी नहीं भवन ही नहीं है। ऐसे में स्कूलों ने है, वहीं 8392 स्कूलों की चहारदीवारी आउटडोर गेम करवाया और हजारो टूटी हुई है। कुल 6481 स्कूल के पास रुपये खर्च भी कर दिये ।हजार 392 स्कूलों की चहारदीवारी टूटी हुई है।

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