सर्वप्रथम न्यूज़ : दिव्यांग जनों को लेकर किया गया सौरभ सर से सवाल
सवाल – 8 वर्ष पूर्व पारिवारिक कलह के कारण पिताजी ने अपने तीन बेटों के नाम जमीन रजिस्ट्री के द्वारा हस्तांतरित कर दी। जिसमें हमारी अज्ञानतावश लेन देन दिखाया गया। और अब हमको आयकर विभाग से नाटिस आ गया है। जमीन की कीमत 50.61 लाख रुपये है। इसमें कैसे कर से बचा जा सकता है। (दिव्यांग)
सौरभ सर के द्वारा दिया गया जवाब – अब आप तीनों भाई व आपके पिताजी एक हलफनामा बनवाकर आयकर अधिकारी को जमा कराएं । उसमें यह स्पष्ट हो की यह जमीन आप तीनों भाइयों को पिताजी के द्वारा उपहार में दी गई है तथा इसमें पैसों का कोई लेन देन नहीं हुआ। रजिस्टरी के दस्तावेजों में जो राशि लिखी गई है यह उस जमीन का उस समय का बाजार भाव है जिसका वास्तव में कोई लेन देन नहीं हुआ। प्रमाण के लिए उस समय के बैंक स्टेटमेंट भी आयकर अधिकारी को प्रस्तुत करना चाहिए। जिससे यह स्पष्ट हो सके की वास्तव में पैसों का कोई लेनदेन नहीं हुआ। मुझे लगता है इतना करना पर्याप्त होगा।
सवाल – मैं एक वेतनभोगी कर्मचारी हूं । मेरा दिल्ली में एक मकान है जो संयुक्त रूप से मेरे और पत्नी के नाम है। इस मकान को खरीदने के लिए होम लोन लिया था जिसमें मेरी पत्नी भी सह-उधारकर्ता है। मेरी पत्नी एक गृहिणी है। इसलिए वह आयकर विवरणी जमा नहीं करती है। होम लोन का संपूर्ण भुगतान मेरे बचत खाते से ही होता है। ऐसे में, क्या मैं होम लोन के ब्याज व मूल का संपूर्ण लाभ निर्धारित सीमा के तहत जो की आयकर की धारा 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये व धारा 24 के तहत 2 लाख रुपये है, ले सकता हूं। (दिव्यांग)
सौरभ सर के द्वारा दिया गया जवाब आपकी पत्नी दोनों होम लोन में सह-उधारकर्ता है और मकान में मालिकाना भी दोनों का ही है। अतः होमलोन के भुगतान का दायित्व भी दोनों का ही है। इसलिए आप केवल अपने हिस्से के होम लोन के भुगतान का ही आयकर में लाभ ले सकते हैं। यह अलग बात है की भुगतान केवल आपके बचत खाते से हो रहा है।
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सवाल – मैं एक सेवानिवृत राज्य सरकार का कर्मचारी हूं। पांव में चोट आने पर आकस्मिक रूप से निजी अस्पताल में इलाज कराने पर व्यय राशि क्या आयकर में छूट हेतु मान्य है। इस व्यय के लिए किसी विभाग या संस्था से प्रतिपूर्ति नहीं ली गई है। ( दिव्यांग )
सौरभ सर के द्वारा दिया गया जवाब – आप एक वरिष्ठ नागरिक हैं। इसलिए आप आयकर की धारा 80डी के तहत स्वास्थ्य बीमा ना होने के बावजूद भी मेडिकल खर्च की छूट के लाभ ले सकते हैं। इस धारा के तहत अधिकतम 50 हजार रुपये तक की छूट प्राप्त है। यह छूट कर निर्धारण वर्ष 2019-20 से ही प्रभावी है।
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सवाल – वित्त वर्ष 2015-16 के वेतन एरियर व 2017-18 के तीन माह के वेतन का मुझे वित्त वर्ष 2018-19 में भुगतान किया गया है। जिस कारण मैं 20 प्रतिशत की जगह 30 प्रतिशत आयकर स्लैब में आ गई हूं। क्या रिटर्न दाखिल करने में वेतन एरियर को संबंधित वर्ष की आय में दिखाया जा सकता है। अगर हां तो आयकर की किस धारा के अन्तर्गत संशोधन होगा। ( दिव्यांग)
सौरभ सर के द्वारा दिया गया जवाब – देखिये, एरियर के कारण से संबंधित वर्ष की आयकर विवरणी में तो संशोधन नहीं होगा। हां, आयकर की धारा 89 के तहत चालू वित्त वर्ष में एरियर के कारण जो कर भार अतिरिक्त बन रहा है उसकी छूट आपको अवश्य प्राप्त होगी। इसके लिए आपने अपने नियोक्ता को संबंधित वर्ष की आयकर विवरणी की जानकारी उपलब्ध कराएं ताकि वो इस छूट की गणना ठीक से करते हुए आपको आयकर की धारा 89 के तहत कर छूट फॉर्म 16 में ही दे ।