सर्वप्रथम न्यूज़ सौरभ कुमार :बेंगलूरु. भारत इतिहास रचने के करीब है। मिशन चंद्रयान-2 के चांद की धरती पर कदम रखने में कुछ ही घंटे बाकी है।
प्रक्षेपण के 48वें दिन शुक्रवार तड़के 1.40 बजे करोड़ों भारतीयों कीउम्मीदों को पूरा करने लैंडर विक्रम अपनी आखिरी यात्रा शुरू करेगा और 15 मिनट बाद उसके चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग की उम्मीद है।
ये बेहद रोमांचक पल होंगे जिन्हें इसरो अध्यक्ष के.शिवन ने ‘डरावना पल’ करार दिया है। के.शिवन ने कहा है कि मिशन की सफलता के लिए एक इंसान के बस में जितना कुछ हो सकता है उतना सबकुछ किया है।
अब तक के हर पड़ाव पर शत-प्रतिशत सफलता मिली है। अब लैंडिंग का इंतजार है। अगर इसमें कामयाबी मिलती है तो अमरीका, रूस और चीन के बाद चांद पर उतरने वाला भारत सिर्फ चौथा देश होगा।
आइए देखते हैं आखिरी 15 मिनटों में कैसे विक्रम चांद की धरती पर पहुंचेगा।
- आखिरी 15 मिनट का रोमांच
- 7 सितम्बर तड़के लगभग 1.40 बजे लैंडर विक्रम चंद्रमा के दक्षिणी धु्रव पर दो क्रेटरों ‘मैंजिनस सी’ और ‘सिंपैलियस एन’ की सीध में पहुंचेगा और वहां से लैंडिंग के लिए अपनी यात्रा शुरू करेगा। उस समय चांद की सतह से लैंडर की ऊंचाई 30 किमी रहेगी। लैंडर में 800 न्यूटन के कुल 5 इंजन हैं। इनमें से चार इंजन लैंडर के चारों कोनों पर और एक बीच में है। जब लैंडर अपनी यात्रा शुरू करेगा तब चारों कोनों के इंजन चालू होंगें जबकि बीच का इंजन बंद रहेगा।
- 30 किमी की ऊंचाई से सहज यात्रा शुरू करने के बाद लैंडर का पहला पड़ाव तब आएगा जब चांद की सतह से उसकी ऊंचाई 7.4 किमी रह जाएगी।
- 7.4 किमी पर उसकी गति धीमी की जाएगी और वहां से लगभग 45 सेकेंड में वह 5.5 किमी की ऊंचाई तक पहुंचेगा।
- 5.5 किमी पर पहुंचने के बाद दो इंजन बंद कर दिए जाएंगे और लैंडर आगे की यात्रा दो इंजन के सहारे तय करेगा। 5.5 किमी से 400 मीटर तक की यात्रा लैंडर लगभग 8 9 सेकेंड में पूरा करेगा।
- 400 मीटर की ऊंचाई तक लैंडर विक्रम 45 डिग्री के कोण पर झुका रहेगा। यहां उसका क्षैतिज वेग (होरिजेंटल वेलोसिटी) शून्य कर दिया जाएगा जिससे लैंडर के चारों लेग चांद की सतह की सीध में हो जाएंगे। यहां लैंडर लगभग 12 सेकेंड तक मंडराता रहेगा।
- 400 मीटर की ऊंचाई से लगभग 66 सेकेंड में वह 100 मीटर तक की ऊंचाई तक आएगा। यहां वह लगभग 22 सेकेंड तक मंडराता रहेगा।
- 100 मीटर से लैंडर की यात्रा 10 मीटर पर आकर ठहरेगी जहां विक्रम के मध्य का इंजन चालू किया जाएगा। यानी, यहां से विक्रम के तीन इंजन सक्रिय होंगे।
- 10 मीटर की ऊंचाई से लैंडर 4 मीटर की ऊंचाई तक पहुंचेगा जहां कोने पर चालू दोनों इंजन बंद कर दिए जाएंगे और सिर्फ मध्य में स्थित एक इंजन के सहारे वह चांद की धरती पर उतरेगा।
- लैंडर विक्रम के लगभग 1 बजकर 53 मिनट और 20 सेकंड पर लैंड करने की उम्मीद है।
- चांद पर उतरने के 15 मिनट बाद लैंडर धरती पर पहली तस्वीर भेजेगा
- चांद पर उतरने के 4 घंटे बाद लैंडर से रोवर निकलेगा।