सर्वप्रथम न्यूज़ सौरभ कुमार : दिव्यांग व्यक्ति केंद्र सरकार ने एक देश-एक राशन कार्ड पहल के तहत राशन कार्ड का नया स्टैंडर्ड फॉर्मेड यानी नया डिजाइन तैयार किया है। साथ ही राज्य सरकारों से कहा है कि वह नए राशन कार्ड जारी करते समय नए फॉर्मेट का पालन करें। केंद्र सरकार की इस पहल से पूरे देश में राशन कार्ड एक समान हो जाएगा।
1 जून 2020 से पूरे देश में लागू होगी एक देश-एक राशन कार्ड योजना
केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना एक देश-एक राशन कार्ड इस समय 6 राज्यों में पायलट आधार पर चल रही है। केंद्र सरकार इस योजना को 1 जून 2020 से पूरे देश में लागू करना चाहता है। इस पहल के तहत पात्र लाभार्ती नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट (एनएफएसए) के देश की किसी भी राशन की दुकान से एक ही राशन कार्ड से अनाज की खरीदारी कर सकते हैं। खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार राष्ट्रीय पोर्टेबिलिटी के इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए यह जरूरी है कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में एक स्टैंडर्ड फॉर्मेट या समान डिजाइन वाले राशन कार्ड जारी किए जाएं। अधिकारी ने बताया कि राशन कार्ड का यह स्टैंडर्ड फॉर्मेट सभी राज्यों के राशन कार्ड के फॉर्मेंट का अध्ययन और सभी हितधारकों से परामर्श के बाद तैयार किया गया है।
सभी राज्यों को नए फॉर्मेट में राशन कार्ड जारी करने की सलाह
मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि सभी राज्य सरकारों से कहा गया है कि वह भविष्य में केंद्र की ओर से जारी नए फॉर्मेट के अनुसार राशन कार्ड जारी करें। अधिकारी ने बताया कि हमने स्टैंडर्ड फॉर्मेट वाले राशन कार्ड में कार्डधारक की आवश्यक जानकारी को जगह दी है। हालांकि, राज्य अपनी आवश्यकता के अनुसार राशन कार्ड में लाभार्थी की अन्य जानकारी जोड़ सकते हैं। राष्ट्रीय पोर्टेबिलिटी के लिए राज्य सरकारों से दो भाषाओं में राशन कार्ड जारी करने को कहा गया है। इसमें एक स्थानीय भाषा और दूसरी हिन्दी या अंग्रेजी भाषा हो सकती है।
राज्य जारी करेंगे 10 डिजिट का राशन कार्ड नंबर
राज्यों को 10 डिजिट का स्टैंडर्ड राशन कार्ड नंबर जारी करने को कहा गया है जिसमें पहले दो डिजिट राज्य का कोड और इससे अगले दो डिजिट रनिंग राशन कार्ड नंबर होंगे। इसके अलावा अन्य दो डिजिट राशन कार्डधारक के परिवार के प्रत्येक सदस्य की यूनिक आईडी को प्रदर्शित करेंगे। खाद्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार एनएफएसए के तहत देश में 81.35 करोड़ के लक्ष्य के सापेक्ष 75 करोड़ लाभार्थियों को इसका लाभ मिल रहा है।