सर्वप्रथम न्यूज़ सौरभ कुमार : भारतीय रेलवे भारत के दिव्यांगों को रेलवे में मिलने वाले संविधानिक अधिकार से क्यों कर रहा है वंचित प्रत्येक दिव्यांग को अपने अधिकार के प्रति जागरूक होना होगा भारतीय रेलवे ने नया सर्कुलर निकाल दिया है जिसमें उन्होंने 130 किलोमीटर प्रति घंटा के रफ्तार से चलने वाले ट्रेनों से सामान बोगी को हटा कर उसके जगह पर सभी वातानुकूलित एसी बोगी लगाने का फैसला किया है तब भारत का प्रत्येक दिव्यांग समाज यह पूछना चाहता है की गति से ट्रेन की बोगियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा दूसरा सबसे बड़ा बाद कि भारतीय संविधान के निर्माण से आज तक दिव्यांगों को रेलवे के यात्रा करने पर आरक्षण दिया जाता था और उनके लिए ट्रेन के आगे और पीछे दो दिव्यांग बोगी लगाए जाते थे जो समान बोगी होता था अब वह लग नहीं लगाए जाएंगे क्योंकि आपने तो फैसला कर लिया है कि सभी ट्रेन से जो इतनी गति से चलती है उसमें से सामान्य बोगी को हटा दिया जाएगा तो दिव्यांग होगी भी तो सामान बोगी में आता है उसे भी हटा दिया जाएगा यहां पर आइए हम आंकड़ों के अनुसार समझते हैं कि रेलवे कि ओर जा रहा है आंकड़े के अनुसार समझे तो एसी बोगी पर 1 साल में 18 करोड़ यात्री सफर करते हैं वही सामान्य बोगी जिसमें 348 करोड़ी यात्री सफर करते हैं क्या यह यात्री उस यात्रा भत्ता को या यात्रा किराया को चुका सकेंगे और हम उन दिव्यांगों की बात करें जिनको महीने के महज ₹400 प्राप्त होते हैं अगर उनका दिव्यांग बोगी उनसे अलग कर दिया जाए तो क्या वह इस यात्रा किराया को चुका सकते हैं कहीं ना कहीं भारतीय रेलवे दिव्यांग उसे बहुत बड़ा अत्याचार कर रहा है और भारतीय संविधानिक नियमों का खुलेआम उल्लंघन कर रहा है नागरिक के मौलिक अधिकार का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है नागरिक के संविधानिक अधिकार का उल्लंघन हो रहा है दिव्यांग अधिनियम 2016 का उल्लंघन हो रहा है इसलिए सभी भारत के दिव्यांगों से यह अनुरोध करना चाहते हैं कि वह अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस 3 दिसंबर 2020 को नहीं मनाए और रेलवे की इस अत्याचार के खिलाफ आवाज को बुलंद करें ताकि कोई भी विभाग किसी दिव्यांग का संविधानिक अधिकार का उल्लंघन नही कर सके ।
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