सर्वप्रथम न्यूज़ सौरभ कुमार : टोला सेवक बहाली 2023 टोला सेवक के नाम पर दिव्यांगों के आरक्षण से किया जा रहा है खिलवाड़ मैं ऐसा बात इस आधार पर कह रहा हूं जहां एक तरफ राज्य सरकार केंद्र सरकार सरकारी शिक्षक बनने के लिए पाठ्यक्रम में अनेक प्रकार के परीक्षा को पास करने कसौटी पर खडा उतरने की बात करते हैं और पढ़े-लिखे दिव्यांग और सामान छात्र पुलिस की लाठी तक खाने को विवश है वहीं दूसरी तरफ टोला सेवक जो की पिछड़ा अति पिछड़ा समाज को पढ़ाने का काम करेगा वह मुखिया वार्ड पार्षद के द्वारा चयनित सदस्य मनोनीत होंगे और उनकी कोई योग्यता नहीं होगी और यह गोपनीय तरीके से पूरे बिहार राज्य में जो खेल टोला सेवक के नाम पर चल रहा है यह काफी दुखद है एक तरफ दो छात्र अपनी योग्यता को साबित करते-करते थक चुके हैं अंत में उपेक्षा का शिकार बन चुके हैं और दूसरी तरफ गोपनीय तरीके से पैसे लेकर टोला सेवक की नियुक्ति कितना जायज है इसलिए हम यह सरकार से निवेदन करना चाहते हैं कि इसकी भी योग्यता और क्षमता की परीक्षा हो और योग्य छात्र को इसमें मौका प्रदान किया जाए ताकि 21वीं शताब्दी का जो नारा है नॉलेज इस द पावर उसको सत्यापित किया जा सके साथ ही साथ में अनुरोध करना चाहूंगा कि भारत में बना हुआ संविधानिक नियम जिसके तहत सभी दिव्यांग भारत में अपने संवैधानिक अधिकार को पा सकते हैं दिव्यांग अधिकार अधिनियम 2016 उसका पालन इस नियुक्ति में नहीं किया गया है दिव्यांग अधिकार अधिनियम 2016 का खुलेआम उल्लंघन किया गया है तो आप बता दे कि हम किस देश में जाकर रहे यहां संवैधानिक अधिकार की धज्जियां उड़ाई जा रही है और वैसे समाज को संविधानिक अधिकार से वंचित किया जा रहा है जिसके लिए पढ़ाई ही एकमात्र ऐसा साधन है जिससे कि वह समाज की प्रमुख धारा से जुड़ सके वैसी स्थिति में दिव्यांग व्यक्तियों के संवैधानिक अधिकार से इस प्रकार का खिलवाड़ कहां तक जायज है नई संसद भवन का निर्माण से भारत के नागरिकों का संवैधानिक अधिकार का पालन आरक्षण नहीं हो सकेगा इसके रक्षा के लिए नीति और नियत चित्र और चरित्र दोनों साफ रखना होगा जब दंड का प्रावधान है फिर भी न जाने कोई व्यक्ति किसी को संवैधानिक अधिकार से वंचित कर देता है और दंडित क्यों नहीं होता है पिछड़ा अति पिछड़ा को अगर मुखिया का अनपढ़ टोला सेवक टोला सेवक पढ़ाएगा तो शिक्षा का क्या अलग जगाएगा पिछला समाज और आरती पिछड़ा समाज पढ़ कर भी पिछड़ा रह जाएगा दूसरे शब्दों में अगर कहा जाए तो इसे ही कहा जाता है चिराग तले अंधेरा।
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