सर्वप्रथम न्यूज़ सौरभ कुमार : राजेंद्र नगर स्थित सुपर स्पेशियलिटी नेत्र अस्पताल में परेशानियों का अंबार लगा हुआ है. अगर किसी व्यक्ति को यहां पर मोतियाबिंद या अन्य किसी रोग के कारण आंख का ऑपरेशन कराना है, तो मरीजों को पैथोलॉजी जांच से लेकर दवाओं तक का इंतजाम भी बाहर से ही करना पड़ेगा. यहां तक कि डिलिवरी के दौरान सर्जरी की सुविधा भी नहीं मिलती. इसकी वजह से सामान्य प्रसूता भी पीएमसीएच रेफर हो जा रही हैं. सरकार ने यहां तमाम इंतजाम किये हैं, लेकिन अस्पताल प्रशासन की ओर से इसमें लापरवाही बरती जा रही है. राजेंद्र नगर नेत्रालय की वस्तुस्थिति पर पेश है की रिपोर्ट. नहीं होगी बलगम की जांच राजेंद्र नेत्रालय के ग्राउंड फ्लोर पर तपेदिक (टीबी) कक्ष बनाया गया है. कक्ष के अंदर दो कुर्सियां लगी हैं, जिनमें डॉक्टर व कर्मियों की ड्यूटी है. दोनों ही कुर्सियों पर से लोग गायब हैं. खांसते-खांसते बिहटा से टीबी मरीज संगीता जैसे ही कक्ष में जाती हैं, तो वहां के कर्मी आधे घंटे बाद डॉक्टर के आने की बात कहते हैं. संगीता कहती हैं कि उन्हें बलगम की जांच करानी है. मौजूद कर्मी कहता है बलगम जांच अरविंद नाम का कर्मी करता है, जो बुधवार को छुट्टी पर है. गुरुवार को आने पर जांच हो जायेगी. मजबूर हो महिला घर चली जाती है. मरीज रोक देखते हैं एमआर ग्राउंड फ्लोर पर पर सामान्य मरीज कक्ष संचालित हो रहा है. एक बड़े से कक्ष में एक महिला व एक पुरुष डॉक्टर की ड्यूटी लगी है. चेंबर के बाहर आधा दर्जन की संख्या में मेडिकल रिप्रेंजेटेटिव बैग लिये खड़े हैं. चेंबर में बैठे डॉक्टर एक-एक कर एमआर द्वारा बतायी जा रही दवाओं को देख रहे हैं. करीब 45 मिनट तक दोनों डॉक्टरों ने एमआर की ओर से बतायी जा रही दवाओं को देखा. जबकि चैंबर के बाहर ही मरीज हाथ में रजिस्ट्रेशन पर्ची लेकर अपनी बारी आने का इंतजार कर रहे थे. यह स्थिति सेकेंड फ्लोर के ओपीडी कक्ष में भी देखने को मिली. लाइट गुल, डॉक्टर गायब सेकेंड फ्लोर पर कमरा नंबर छह व नौ संचालित हो रहे हैं, जिनके बाहर बोर्ड पर विशेष नेत्र अनुसंधान क्षेत्र कक्ष संख्या 6 लिखा हुआ है. डेढ़ घंटा ओपीडी संचालित होने के बाद अचानक से लाइट चली जाती है. लेकिन लाइट जाने का बहाना कर दोनों ही कक्ष के डॉक्टर कुर्सी छोड़ चले जाते हैं और एक घंटे तक वह चेंबर में नहीं आते हैं. 15 मिनट बाद लाइट आती है, बावजूद डॉक्टर चेंबर में नहीं आये. परेशान मरीज इंतजार कर रहे थे. ऐसे में मरीजों की लंबी लाइन लग जाती है और जब डॉक्टर आते हैं, तो अफरा-तफरी की स्थिति पैदा हो जाती है. ओपीडी-1 के पास हंगामा ओपीडी कक्ष संख्या एक सेकेंड फ्लोर पर संचालित हो रहा है. कक्ष के बाहर मरीजों की लंबी लाइन लगी है. अचानक दो मरीज बिना लाइन के अंदर चले जाते हैं और डॉक्टर से अपना इलाज कराना शुरू कर देते हैं. बिना लाइन के अंदर जाते देख दूसरे मरीज विरोध शुरू कर देते हैं. कक्ष के बाहर बूढ़ा गार्ड मरीजों को शांत कराने की कोशिश में लगा हुआ है. लेकिन मरीज एक नहीं सुन रहे और जम कर हंगामा कर रहे हैं. मरीजों की शिकायत थी कि पुरुष व महिला अलग-अलग लाइन लगानी चाहिए व सीरियल नंबर से अंदर प्रवेश करने दिया जाये. 70 दवाओं में अधिकांश नहीं परिसर से सटे ही दवा वितरण काउंटर की सुविधा दी गयी है. डॉक्टर द्वारा लिखी गयी दवाओं को लेने मरीज काउंटर के पास आ रहे हैं, लेकिन उन्हें मुश्किल से एक से दो दवाएं ही मिल रही हैं. मरीज ग्राउंड फ्लोर पर दवाओं की सूची देख काउंटर पर 70 तरह की दवा होने की बात कह रहे हैं. कर्मी कहता है सूची वाली दवाएं खत्म हैं, दवाओं की सप्लाइ होगी, तो मिलेगी. मरीज बिना दवा के चले जाते हैं. अधिकांश मरीज बाहर से दवाएं खरीद रहे हैं. जबकि नियमानुसार इनडोर में 37 व आउटडोर में 33 कुल 70 तरह की दवा नि:शुल्क देने का नियम है. कुत्ते के काटने पर किया रेफर राजेंद्र नगर के रहने वाले अरविंद कुमार के हाथ व चेहरे पर कुत्ते ने काट दिया है. वह रोते-रोते राजेंद्र नगर नेत्रालय पहुंचता है और जनरल मरीज कक्ष में तैनात डॉक्टर टीकाकरण केंद्र में जाकर एआरवी का इन्जेक्शन लगाने को कहते हैं. जैसे-तैसे मरीज अस्पताल के टीकाकरण केंद्र पहुंचते हैं, वहां अंदर बैठी दो महिला कर्मी पीएमसीएच जाने को कहती हैं. महिला कर्मियों ने कहा कि एआरवी का टीका खत्म हो गया है, नतीजा मरीजों को बाहर से खरीदना पड़ता है या फिर पीएमसीएच, गार्डिनर रोड अस्पताल रेफर करना मजबूरी हो गयी है. पैथोलॉजी लैब बंद बाहर से करा रहे जांच कहने को अस्पताल में पैथोलॉजी जांच लैब की सुविधा है. लेकिन यहां पिछले कई वर्षों से जांच नहीं हो रही है. खून, पेशाब, कल्चर, सीबीसी आदि सभी तरह की जांच मरीजों को बाहर से करानी पड़ रही है. अस्पताल सूत्रों की मानें, तो जांच मशीन खराब होने की वजह से पैथोलॉजी जांच बंद कर दी गयी है. वहीं जानबूझ कर भी जांच बहाल नहीं की जा रही है. क्योंकि सूत्रों के अनुसार बाहर से जांच कराने के एवज में कुछ डॉक्टरों को कमीशन भी मिलता है. 76.4 करोड़ से बनाया जा रहा विशेष अस्पताल राजेंद्र नगर नेत्रालय अस्पताल में उस समय मरीजों की परेशानी खत्म होगी, जब यह अति विशिष्ट अस्पताल बन कर तैयार हो जायेगा. दरअसल राजेंद्र नगर नेत्रालय को कुल 76.04 करोड़ रुपये की लागत से अति विशिष्ट अस्पताल बनाने का काम चल रहा है. पांच फ्लोरों के अस्पताल का कुल क्षेत्रफल 83,000 वर्गफुट है. इसमें 106 बेडों की संख्या, 6 मॉड्यूलर ओटी और 22 विभागों के ओपीडी संचालित होंगी. इसका निर्माण कार्य शुरू हो गया है. इसके बाद मरीजों की परेशानी खत्म होने की उम्मीद लगायी जा रही है।
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