क्या कभी भारत में मानसिक स्वास्थ्य अधिकार अधिनियम का लाभ दिव्यांगों को मिल पाएगा उसमें दंड का जो प्रावधान है वह कभी कार्यान्वित हो पाएगा पूछता है दिव्यांग।

सर्वप्रथम न्यूज़ सौरभ कुमार : मानसिक रोगी के लिए सर्कुलर 2017 में मानसिक स्वास्थ्य देखरेख अधिनियम लागू किया था। साथ ही राज्यों को भी इस अधिनियम के तहत मानसिक स्वास्थ्य नीति और नियमावली बनाने के निर्देश दिए गए थे। अधिनियम के तहत 2019 में सरकार ने राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण का गठन किया। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि मानसिक रोगी का यह सर्कुलर बहुत ही कम व्यक्तियों को पता है और बहुत ही कम व्यक्ति इसका लाभ भी ले पाते हैं ऐसा सर्कुलर का क्या लाभ जिसका जिक्र संविधान में तो मिलता है लेकिन धरातल पर उसके बारे में किसी को जानकारी ही नहीं है आइए जानते हैं क्या है योजना जिसका लाभ प्रत्येक मानसिक दिव्यांग को मिलना चाहिए सभी जानकारी विस्तार पूर्वक इस प्रकार है नियमों का उल्लंघन करने पर 2 साल की जेल या 50 हजार जुर्माना नियमावली में नियमों का उल्लंघन करने पर मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों ( नशामुक्ति केन्द्रों सहित) द्वारा प्रथम उल्लघन पर 5,000/- से 50,000/- रूपये, दूसरे उल्लघन पर 2,00,000/- रूपये व बार-बार उल्लघन पर 5,00,000/- रूपये का जुर्माना दण्ड के रूप में प्राविधान है। ऐसे मानसिक स्वास्थ्य संस्थान (नशामुक्ति केन्द्रों सहित) जो पंजीकृत नहीं है, में कार्य करने वाले मानसिक स्वास्थ्य वृत्तिकों पर 25,000/- रूपये तक जुर्माना दण्ड के रूप में प्राविधान है। यदि कोई व्यक्ति अधिनियम के अधीन बनाये गये नियम या विनियम के उपबंधों का उल्लंघन करता है तो ऐसी स्थिति में उस व्यक्ति को प्रथम उल्लघंन पर छह माह की जेल या 10,000/- रूपये का जुर्माना अथवा दोनों व बार- बार उल्लघन पर दो वर्ष की जेल या 50,000/- रूपये से 5,00,000/- रूपये जुर्माना अथवा दोना दण्ड के रूप में प्राविधान है। इन नियम विनियमों के प्रख्यापित होने से राज्य में मानसिक रोग से ग्रस्त व्यक्तियों को उच्च गुणवत्तायुक्त उचित उपचार प्राप्त हो सकेगा एवं अवैध संस्थानों पर नियंत्रण हो पायेगा । भारत सरकार एवं राज्य सरकार इस क्षेत्र में कार्य करने हेतु कृतसंकल्प है।

Check Also

भारतीय सांसद की कार्य का सच्चाई।

🔊 Listen to this सर्वप्रथम न्यूज सौरभ कुमार : भारतीय संसद में तीन साल में मंत्रियों …