बिहार के दिव्यांग आयुक्त कार्यालय में आज भी निशक्त आयुक्त का बोर्ड क्यों

सर्वप्रथम न्यूज़ सौरभ कुमार पटना: आज से 2 साल पहले माननीय प्रधानमंत्री जी ने देश के विकलांगों को दिव्यांग शब्द से संबोधित किया था और सभी कार्यालय को निर्देश दिया था कि वह विकलांगों का सभी काम दिव्यांग शब्द संबोधित करते हुए करेंगे और निशक्त अपंग विकलांग शब्द का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा बिहार के निशक्त आयुक्त कार्यालय ने भी बिहार के सभी जिलों में सभी डीएम को पत्र लिखकर यह निर्देश दिए थे लेकिन जब हम निशक्त आयुक्त कार्यालय के बोर्ड को देखते हैं तो आज भी उस पर दिव्यांग आयुक्त नहीं लिखकर निशक्त आयुक्त का बोर्ड लगा हुआ है इस पर पूर्व मंत्री मंजू वर्मा जी से भी बात हुई थी और उन्होंने कहा था की 2 दिनों के अंदर बोर्ड चेंज होगा जो आज तक नहीं हो पाया तब यह सोचने की बात है कि जिस कार्यालय ने पूरे जिले को आदेश दे दिया और जिसकी पूर्व मंत्री ने 2 दिनों में बोर्ड चेंज करने की बात कहा था यह कार्यालय दिव्यांगों का कोर्ट कहलाता है और जब कोर्ट में ही दिव्यांगों को निशक्त शब्द से संबोधित किया जाए तो यह कितना गलत बात एक तरफ इस सभी कामों को अच्छे तरीके से सुधारने के लिए एक एनजीओ वाले व्यक्ति को बिहार में निशक्त आयुक्त का पद दिया गया है फिर भी इतनी बड़ी चूक कि आज अपने ही कोर्ट में बिहार के दिव्यांग निशक्त आयुक्त का बोर्ड लिखा पाते हैं तो जब उन्हें अपने ही कोर्ट मे सम्मान नहीं मिल पा रहा है तो दूसरे जगह और क्या सम्मान मिलेगा दूसरी बात कि जिस व्यक्ति को एक संस्था का संचालक होते हुए निशक्त आयुक्त की जिम्मेदारी दी गई थी वह अपने उत्तरदायित्व का कितने अच्छे से पालन कर रहे हैं इसकी शुरुआत हम नाम से ही कर ले तो आज तक इस कार्यालय का बोर्ड चेंज क्यों नहीं हुआ जबकि मंत्री ने 2 दिनों में इसे चेंज करने का बात किया था इसलिए बिहार के दिव्यांग यह चाहते हैं कि सिर्फ उन्हें झूठे वादों से उनका मनोबल को ना बढ़ाया जाए बल्कि जमीनी स्तर पर भी कुछ किया जाए और हमारा निवेदन है बिहार के दिव्यांग समाज की ओर से की इस बोर्ड को जल्द से जल्द सुधारा जाए जिससे कि दिव्यांगों को उचित सम्मान मिल पाए उचित अधिकार मिल पाए हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए यह हमारा परम कर्तव्य भी है बिहार के दिव्यांग भी उचित सम्मान के योग्य है माननीय प्रधानमंत्री जी के वक्तव्य का पालन करें निशक्त आयुक्त कोर्ट बिहार में जिस गाड़ी का प्रयोग वह कहीं आने जाने के लिए करते हैं उस पर भी निशक्त आयुक्त का बोर्ड लगा हुआ है और लोग उसी बोर्ड को पढ़कर उन्हें पहचानते हैं तो अगर यह दो परिवर्तन हो जाए तो दिव्यांगों को उचित सम्मान बिहार में मिल पाएगा इसलिए इस पर विचार करें और प्रारंभिक परिवर्तन करके प्रारंभिक सुधार करें जिस के हकदार हैं बिहार के दिव्यांग

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