सर्वप्रथम न्यूज़ : सभी विश्वविद्यालय नामांकन से पूर्व सत्र एफीलिएशन प्रमाण पत्र विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर अपलोड करें ताकि पढ़ने वाले छात्र नौकरियों में ठगा ना जाएं|तोशियास संस्था यह तथ्य आई है जिसमें वर्ष 2015 के बाद 2016 -17 से अब तक जितने भी कोर्स की पढ़ाई पटना विश्वविद्यालय के अंतर्गत हुई हैं उनमें से किसी की भी सत्र की यूजीसी एआईसीटीई या जिन संस्थाओं के द्वारा मान्यता दी जाती है
कुछ कोर्स पुस्तकालय विज्ञान बैचलर व मास्टर डिग्री कोर्स की मान्यता विश्वविद्यालय ने नहीं ली और कोर्स करवा लिया| ऐसे में पढ़ाई करने के बाद छात्रों को नौकरी में प्रमाण पत्र सत्यापन में अपने आप को कैसे साबित करें विश्व प्रसिद्ध विश्वविद्यालय की डिग्री मान्यता घेरे में होना अपने आप में बिहार के गौरव के लिए शर्मनाक है|
हमारे माध्यम से हम भारत सरकार से शिक्षा मंत्रालय के तहत जितने भी विश्वविद्यालय चल रहे हैं उनको अपना-अपना एफीलिएशन प्रमाण पत्र अपने वेबसाइट पर अपलोड करने के लिए जिससे छात्रों में पारदर्शिता बनी रहे जिससे वह कोर्स करने में और अपने भविष्य को लेकर चिंतित ना रहे| अक्सर देखा जाता है दूसरे राज्यों में इस तरह के मामलों में बिहार की छवि बहुत धूमिल हो जाती है जहां विश्वविद्यालय विश्व विख्यात होने के बाद भी प्रमाण पत्र सत्यापन में छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करता हुआ दिखाई देता| चैनल के संवाददाता ने जब विश्वविद्यालय कर्मियों से बात करे सभी एक दूसरे पर कोई कहता रजिस्टार के पास जाइए तो कोई कहता चांसलर ऐसे में छात्र जाएं तो जाएं कहां|पटना विश्वविद्यालय के तहत दूरस्थ शिक्षा मे भी इस तरह की समस्या देखने को मिली है
जो डीईसी सत्र मान्यता प्राप्त नहीं है और कोर्सेज चल रहे हैं पढ़ने वाले छात्रों का भविष्य अंधकार में संबंधित विभाग मौन है छात्रों को किसी भी प्रकार के प्रमाण पत्र नहीं दिए जा रहे हैं जिससे यह पता चल सके कि संबंधित सत्र की मान्यता विश्वविद्यालय ने ले रखी||दिव्यांग छात्र अपने 5% नामांकन के बाद भी क्या इन प्रमाण पत्रों से लाभ ले पाएंगे क्या उन्हें नौकरी मिल पाएगी या बहुत संवेदनशील विषय है जहां पर विश्वविद्यालयों को अपने अपने वेबसाइट पर प्रमाण पत्र एप्लीकेशन लगाना अनिवार्य कर दिया जाए||उदाहरण के तौर पर पटना विश्वविद्यालय के छात्र देवाशीष पंडित पाल session 2016-17 reg no 11110025 roll no 163 Blisc, छात्र श्याम कुमार जिनकी उम्र समाप्त हो गई है या छात्र भी गोल्ड मेडलिस्ट रह चुके हैं इनकी भी समस्या यथावत है छात्र गोल्ड मेडल पाकर भी सत्र मान्यता की वजह से अपने आप को साबित करने में दर दर की ठोकर खा रहे हैं विश्वविद्यालय रजिस्ट्रार भी सुनने को तैयार नहीं इस वीडियो को देखकर आप सोचने को विवश हो जाएंगे