बैकलॉग वैकेंसी के लिए कौन पात्र है दिव्यांग का मतलब क्या होता है?

सर्वप्रथम न्यूज़ : पटना तोशियास सचिव सौरभ कुमार के लगातार चार सालों की मेहनत रंग लाई अब दिव्यांगों को मिलेगा यह संवैधानिक अधिकार जिससे लगातार वह हो रहे थे वंचित सरकार ने राज्याधीन सेवाओं में दिव्यांगजनों की नियुक्ति में आरक्षण का लाभ देने को लेकर नया गाइड लाइन जारी किया है। सामान्य प्रशासन ने सरकार के सभी अपर मुख्य सचिव, सभी प्रधान सचिव, सभी सचिव, सभी प्रमंडलीय आयुक्त, सभी जिला पदाधिकारी, सचिव बिहार लोक सेवा आयोग, सचिव बिहार कर्मचारी चयन आयोग, सबिहार बिहार तकनीकी सेवा आयोग, सचिव केंद्रीय चयन पर्षद सिपाही भर्ती, सचिव बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग एवं परीक्षा नियंत्रक बिहार संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा पार्षद को कहा है कि पूर्व में भी दिव्यांगजनों को नियुक्ति में आरक्षण को लेकर रोस्टर क्लियरेंस हेतु गाइड लाइन जारी किये गये थे। कुछ विंदुओं को लेकर उठ रहे आंशंकाओं के निराकरण के लिए स्पष्टीकरण जारी किया जाना आवश्यक है। स्पष्टीकरण में कहा गया है कि मात्र चालू रिक्ति के विरुद्ध ही दिव्यांगजन हेतु क्षैतिज आरक्षण, महिलाओं हेतु ३५ प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण एवं स्वतंत्रता सेनानी के आश्रितों यथा पोताश् पोती, नाति एवं नतिन को यथास्थिति आरक्षण देय होगा। नियुक्ति के किसी सम्व्यवहार में दिव्यांगता आधारित किसी प्रवर्ग के अभ्यर्थी की अनुपलब्धता के कारण इनके लिए कर्णांकित रिक्ति भरी नहीं जा कोटि के पद के रुप में अगले भर्ती वर्ष के लिए सुरक्षित/अग्रणित कर दी जायेगी। सकी हो तो इसके लिए गैर आरक्षित कोटि में उतनी रिक्ति, जितनी संख्या में नहीं भरी गयी हो के साथ पश्चातवर्ती भर्ती वर्ष में अग्रणित की जाती है अर्थात दिव्यांगजनों के लिए कैरी फारवर्ड का प्रावधान बिहार सरकार की सेवाओं भी है। विभागीय संकल्प संख्या ९६२० दिनांक २२/१/२०२१ के प्रावधान ही संप्रति प्रभावी है जिसके अनुसार दिव्यांगों के लिए उपलब्ध रिक्ति भरे नहीं जाने की स्थिति में उक्त पद अनारक्षित दिव्यांग उच्चतर पद का प्रभार के संबंध में स्पष्ट किया गया है कि यदि कोई कर्मी उच्चतर पद पर उत्क्रमित हो गया है तो धारित पद स्वतः रिक्त हो जायेगा। क्योंकि कोई भी कर्मी एक साथ दो पदों के विरुद्ध कार्यरत नहीं रह सकता है। साथ ही चूंकि उच्चतर पद का प्रभार संबंधी यह व्यवस्था विशुद्ध रूप से रिक्ति के विरुद्ध की गयी है। अतएव उच्चतर पद का प्रभार प्राप्त करने के फलस्वरूप स्वाभाविक रूप से रिक्त हुए पदों को रिक्ति मानते हुए उनके विरुद्ध नियुक्ति हेतु रोस्ट क्लियरेंस की काररवाई की जायेगी। उपरोक्त से स्पष्ट है कि किसी पदाधिकारी/कर्मचारी के उच्चतर पद का प्रभार ग्रहण करते ही धारित पद रिक्त हो जायेगा। लगातार दिव्यांगों के लिए संघर्षरत रहने के बाद यह सफलता मिली तोशियास सचिव सौरभ कुमार को क्योंकि हमारा संकल्प है दिव्यांगों की मुस्कान है हमारी पहचान।

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