वृध्दजनों के लिए समेकित कार्यक्रम

सर्वप्रथम न्यूज़ आदित्य राज पटना :- वृध्दजनों के लिए समेकित कार्यक्रम (आईपीओपी) 1992 से कार्यान्वित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य आवास, भोजन, चिकित्सा देखरेख और मनोरंजनात्मक अवसर प्रदान कर वरिष्ठ नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाना है। वृध्दजनों की विविधतापूर्ण जरूरतों को पूरा करने के लिए इस योजना को लचीला बनाया गया है। इसमें वृध्दजनों के मुद्दों पर जागरूकता निर्माण, वृध्दावस्था के लिए आजीवन तैयारी की अवधारणा को लोकप्रिय बनाना और फलदायक वृध्दता को सुगम बनाना शामिल है।

केन्द्रीय सरकार द्वारा संचालित इस समेकित कार्यक्रम के तहत राज्य सरकार स्वयं सेवी संस्थाओं के प्रस्ताव जो जिला पदाधिकारी से अनुशंसित होकर आते हैं, उन्हें सामाजिक न्याय एवम् अधिकारिता मंत्रालय को अनुदान विमुक्ति हेतु अनुशंसित कर भेजती है।

लाभ और पात्रता

आईपीओपी के एक घटक के अंतर्गत गैर-सरकारी संस्थाओं को वृध्दावस्था गृह, दिवाकालीन देखरेख केंद्रों और सचल स्वास्थ्य देखरेख इकाइयों (मोबाइल मेडिकेयर यूनिट) के निर्माण के लिए अनुदान सहायता प्रदान की जाती है।  स्वयंसेवी संस्था को परियोजना लागत के 90 प्रतिशत की सहायता प्रदान की जाती है। इस परियोजना के लाभ प्राप्त करने के लिए किसी भी संस्था को निम्न शर्तें पूरी करनी होती हैं:

सोसाइटीज पंजीकरण अधिनियम,1860 के अंतर्गत या किसी अन्य प्रासंगिक राज्य पंजीकरण अधिनियम के अंतर्गत पंजीकरण।

किसी वर्तमान कानून के अंतर्गत पंजीकृत सार्वजनिक ट्रस्ट।

कंपनीज़ अधिनियम, 1958 के भाग 25 के अंतर्गत लाइसेंसशुदा परोपकारी कंपनी।

सोसाइटीज़ पंजीकरण अधिनियम, 1860 या सार्वजनिक ट्रस्ट के अंतर्गत पंजीकृत वृद्ध जनों का स्वयं सहायता समूह।

कैसे प्राप्त करें

समाज कल्याण विभाग के अधीन वृद्धजन कल्याण, विकलांग कल्याण एडिप एवम् मद्य एवम् औषधि दुरुपयोग से संबंधित स्वयंसेवी संस्थाओं के परियोजना प्रस्ताव सामाजिक न्याय एवम् अधिकारिता मंत्रालय को अनुदान विमुक्ति हेतु भेजा जाता है।

इच्छुक गैर-सरकारी संस्था संबंधित जिला पदाधिकारी के कार्यालय में परियोजना प्रस्ताव समर्पित कर सकतें हैं। जिला पदाधिकारी जिला स्तरीय पदाधिकारी से स्थलीय जॉच कराने के उपरांत अनुशंसा/मन्तव्य सहित समाज कल्याण विभाग को भेजते हैं। राज्य स्तर पर राज्य स्तरीय अनुदान समिति के अनुशंसा उपरांत केंद्रीय मंत्रालय को भेजा जाता है। इस समिति का स्वरूप निम्नवत् है।

1. विकास आयुक्त – अध्यक्ष

2. प्रधान सचिव, वित्त  विभाग -सदस्य

3. प्रधान सचिव, ग्रामीण विकास विभाग, सदस्य

4. दो स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि – सदस्य

परियोजना प्रस्ताव संबंधित आवेदन प्रपत्र सामाजिक न्याय एवम् अधिकारिता मंत्रालय के वेबसाइट पर देखा जा सकता है।

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