लॉकडाउन के बाद भी आसान नहीं होगी दृष्टिबाधितों की जिंदगी

सर्वप्रथम न्यूज़ सौरभ कुमार : लॉकडाउन के बाद भी आसान नहीं होगी दृष्टिबाधितों की जिंदगी सोशल डिस्टेंसिंग का चलते लोग मदद करेंगे कि नहीं। दुनिया के एक तिहाई दृष्टिबाधित भारत असर सबसे ज्यादा दृष्टिबाधित लोगों इसके अलावा अक्सर हम चीजों की
में हैं। दुनिया 3.9 करोड़ तो, भारत में पर पड़ रहा है। उन्हें डर है कि सतह व मनुष्य को छूकर उसका संख्या 1.2 करोड़ थी। दृष्टिहीन लोगों लॉकडाउन खत्म होने अहसास करते हैं, के लिए काम कर रही ब्लाइंड के बाद उनकी जिंदगी सतहों को स्पर्श इससे संक्रमण का  संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार मुश्किल भरी होगी। करने से आंख से दिव्यांग  विश्व के सभी देशों को  खतरनाक चेतावनी संक्रमण खतरा बढ़ेगा।  कि जब लॉकडाउन घर के भीतर और का सता रहा दर सुरक्षा के लिए दस्तान खत्म हो जाएगा तो दृष्टिहीन लोग बाहर ज्यादातर दूसरों पर पहनने पर स्पर्श का घंटों या कई दिनों तक जीवित रहता बाहर निकलेंगे लेकिन उन्हें दस्तानों के
निर्भर रहने से दृष्टिबाधित लोगों के अनुभव नहीं हो पाएगा। वैज्ञानिक भी है। दृष्टिबाधित छात्र को जरिये अपनी सुरक्षा करने की जरूरत सामने दोहरी समस्या खड़ी होने वाली कह रहे हैं कि कि वायरस सतह को चिंता है कि हर किसी को जान का होगी चाहे इससे उनकी स्पर्श को है। राजधानी के दृष्टिबाधित विद्यालय छूने से भी फैल सकता है। विश्व खतरा है और अजनबी दृष्टिबाधित समझने की शक्ति कमजोर ही  स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि का हाथ पकड़ना सहज नहीं होगा। हो। हम घरों से बाहर न निकलने की डर है कि सोशल डिस्टेंसिंग के कोरोना वायरस कुछ सतहों पर कुछ 2017 के आंकड़ों के मुताबिक सलाह भी दे रहे हैं।

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