लोक सेवाओं के प्रदान की गारंटी अधिनियम 2010 का दिव्यांगों को क्या फायदा मिलेगा

सर्वप्रथम न्यूज़ सौरभ कुमार : दिव्यांग व्यक्ति के लिए  खास नियम लोक सेवाओं के प्रदान की गारंटी अधिनियम 2010 का उद्देश्य सरकार द्वारा अधिसूचित सेवाएँ आम नागरिकों को एक तय समय-सीमा में उपलब्ध कराना है। अधिनियम की धारा 3 में दी गई शक्ति अनुसार सरकार द्वारा लोक सेवाएँ अधिसूचित की गई है। पदाभिहीत अधिकारी का यह दायित्व है कि वह ऐसी सेवाएँ अधिसूचना द्वारा निश्चित की गई समय-सीमा में आवेदक को प्रदान करें। इस प्रकार नागरिकों को सूचना के अधिकार की तरह सेवा का अधिकार भी प्राप्त हो गया है।

आम जनता को सुविधा

अधिनियम के तहत रोज के कामों के लिये अधिसूचित सेवाएं नियत समय में मिलेगी। तय समय सीमा में काम न होने पर इसमें जुर्माने का प्रावधान भी है, जिसमें लोक सेवकों की जवाबदेही होगी। इस कानून में लोक सेवाओं के प्रदाय की मानीटरिंग का भी प्रावधान है। आम नागरिकों में संतोष और सरकारी व्यववस्थाक के प्रति विश्वास पैदा करना। सुशासन स्थापित करने के लिये शासन की यह क्रांतिकारी पहल राज्य शासन की जन प्रतिबद्धता को प्रमाणित करती है।

लोक सेवाएँ प्रदान करने की गारंटी के लिये विशेष कानून

लोक सेवाओं के प्रदान की गारंटी अधिनियम 2010 के लागू होने से अधिसूचित सेवाओं की समय सीमा में प्राप्ति सुनिश्चित होगी। अब सेवा की प्राप्ति आमजन का अधिकार है। इस महत्व पूर्ण कानून ने अब लोक सेवाओं को प्राप्त करने के लिये आमजन के याचना भाव को शक्ति में बदल दिया है। इस अधिनियम में सेवा प्रदान करने में लापरवाही बरतने वालों के लिये शास्ति (धारा 7) का प्रावधान भी है सूचना प्राप्त करने के हक की तरह अब अधिसूचित सेवाएँ प्राप्त करना भी आम जनता का हक बन गया है। लोक सेवा गारंटी अंतर्गत 49 विभागों की 561 सेवाएँ अधिनियम अंतर्गत अधिसूचित है। समाधान एक दिवस तत्काल सेवा अंतर्गत 8 विभागों की 40 सेवाओं का उसी दिन (Same Day) निराकरण किया जाता है।

सेवा नहीं देने पर जुर्माना

हर सेवा की डिलीवरी के लिए एक समय अवधि तय की गई है। जो अधिकारी अपने कर्त्तव्यों का पालन करने में विफल रहता है और सेवाओं को समय पर प्रदान नहीं करता हैं, उसे प्रति दिन 250 रुपये से लेकर अधिकतम पाँच हजार रुपये तक की रकम का भुगतान जुर्माने के रूप में करना पडता है।

अपील का अधिकार

यह अधिनियम दो चरण की अपील प्रक्रिया प्रदान करता है। जब नागरिक को समय पर अधिसूचित सेवा प्राप्त नहीं होती तब वह प्रथम अपीलीय प्राधिकारी के पास अपील कर सकते हैं। यदि प्रथम अपीलीय प्राधिकारी के निर्णय से नागिरक असंतुष्ट है तो वह दूसरे अपील प्राधिकारी के पास अपील दायर कर सकते हैं। ऐसे अधिकारियों के खिलाफ दूसरे अपीलीय प्राधिकारी को जुर्माना लगाने के और अनुशासनात्मक कार्रवाई के आदेश देने की शक्ति होती है। जहां अधिकारी पर जुर्माना लगाया जाता है वहीं आवेदकों को असुविधा झेलने के कारण मुआवजे का भुगतान किया जाता हैं। यह अनोखा कानून सिटीजन चार्टर के उद्देश्यों को साकार करने के लिए एक प्रभावी साधन प्रदान करता है।

अनूठा अधिनियम – संयुक्त राष्ट्र संघ ने सराहा

 लोक सेवा गारंटी अधिनियम 2010 देश का पहला खास तरह का अधिनियम है जो निर्धारित समय-सीमा में नागरिकों को सार्वजनिक सेवाओं के प्रदान की गारंटी देता है। अधिनियम ने वर्ष 2012 का यू.एन.पी.एस.ए पुरस्कार जीता। ‘लोक सेवाओं के वितरण में सुधार’, वर्ग में इस अधिनियम को संयुक्त राष्ट्र का वर्ष 2012 का लोक सेवा पुरस्कार (United Nations Public Service Awards ) प्राप्त हुआ है। राज्य ने 73 देशों से और 483 नामांकनों में से यह प्रतिष्ठित पुरस्कार जीता है। संयुक्त राष्ट्र का यह लोक सेवा पुरस्कार अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सार्वजनिक सेवा में उत्कृष्टता की एक प्रतिष्ठित पहचान है।

प्रतिबद्धता का प्रतिबिम्ब

यह ऐतिहासिक अधिनियम अच्छे सुशासन को प्राप्त करने के लिए राज्य की प्रतिबद्धता का एक प्रतिबिंब है।  लोक सेवा गारंटी अधिनियम 2010 नागरिकों को निर्धारित समय के भीतर बुनियादी सार्वजनिक सेवाओं के प्रदान की गारंटी देता है और ऐसा करने में विफलता के लिए जवाबदेही तंत्र की योजना करता है। इस अधिनियम के तहत दिव्यांगों का कोई काम, जाति, आय, निवास, जन्म, मृत्यु , विवाह प्रमाण-पत्र जारी करना, भू-अभिलेखों की प्रतियाँ, खसरा नक्शा, जैसी 561 महत्वपूर्ण सार्वजनिक सेवाओं को अधिसूचित किया गया है।

 

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