सावधान नए तरीके से दिव्यांग हो रहे हैं लोग जाने कैसे।

सर्वप्रथम न्यूज़ सौरभ कुमार : एक मच्छर की दहशत ने स्वास्थ्य विभाग की नाक में दम कर रखा है। ये कोई आम मच्छर नहीं है जिसके काटने से मलेरिया होता है। ये क्यूलेक्स मच्छर है जिसके काटने से इंसान दिव्यांग हो सकता है। इसके काटने से हाथीपांव का शिकार हो सकते हैं। मध्यप्रदेश के 12 जिलों में क्यूलेक्स मच्छर का खतरा मंडरा रहा है।

क्यूलेक्स मच्छर के काटने से हाथीपांव का खतरा

क्यूलेक्स मच्छर के काटने से इंसान को लिम्फेटिक फाइलेरियासिस हो सकता है। इससे इंसान हाथीपांव का शिकार हो सकता है। इस मच्छर के काटने से संक्रमण की वजह से लिम्फ नोड ग्रंथियों पर असर पड़ता है। इससे फाइलेरिया यानी हाथीपांव की बीमारी हो सकती है। इस मच्छर के काटने से इंसान जिंदगीभर के लिए दिव्यांग हो सकता है।

मध्यप्रदेश के 12 जिलों में खतरा

क्यूलेक्स मच्छर गंदे रुके हुए पानी में पनपता है। मध्यप्रदेश के 12 जिलों में इसका खतरा है जिनमें छतरपुर, दतिया, कटनी, पन्ना, उमरिया, रीवा, टीकमगढ़, निवाड़ी, सागर, दमोह, सतना और छिंदवाड़ा शामिल हैं। इस मच्छर के संक्रमण से लोगों को बचाने के लिए 10 से 15 फरवरी तक दवा वितरण अभियान चलाया जाएगा।

किन्हें खानी पड़ेगी दवा

इस बीमारी से बचने के लिए साल में 1 बार फाइलेरिया रोधी डीईसी, एलबेंडाजोल और आईवरमैक्टिन की गोलियां खानी जरूरी हैं। 2 साल से कम उम्र के बच्चे, गर्भवती और गंभीर बीमार मरीजों को छोड़कर सभी को दवा खानी जरूरी हैं। 5 साल से छोटे बच्चों को आईवरमैक्टिन गोली नहीं दी जाती है। रीवा, छतरपुर और पन्ना में आईवरमैक्टिन, डीईसी और एलबेंडाजोल की गोलियां दी जा रही हैं। बाकी 9 जिलों में डीईसी और एलबेंडाजोल दी जाएंगी। इन दवाओं को खाली पेट नहीं लेना है, कुछ खाकर ही लेना है।

मच्छर के काटने के 6 से 8 साल बाद दिखते हैं बीमारी के लक्षण

क्यूलेक्स मच्छर के काटने से संक्रमित हुए व्यक्ति में 6 से 8 साल बाद फाइलेरिया और हाईड्रोसिल बीमारियों के लक्षण दिखते हैं। इस बीमारी से बचने के लिए फाइलेरिया रोधी दवाइयों का सेवन करना अनिवार्य है। इसके साथ ही कुछ अन्य सावधानियां रखनी चाहिए जैसे कि घर के आसपास गंदा पानी जमा ना होने दें। खुद को और अपने परिवार को मच्छरों से बचाने के उपाय करें।

12 जिलों में मरीज

स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक 12 जिलों में लिम्फेडिमा के 3 हजार 455 मरीज हैं। हाईड्रोसिल के 1 हजार 258 मरीज हैं। लिम्फेडिमा के सबसे ज्यादा 681 मरीज छतरपुर में मिले हैं। वहीं हाईड्रोसिल के सबसे ज्यादा 528 मरीज पन्ना में पाए गए हैं।

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