दिव्यांगों को क्या सरकार इंदिरा गांधी पेंशन योजना की राशि देने में भी असमर्थ है और सामाजिक सुरक्षा पेंशन की राशि बढ़ाने में भी असमर्थ तो यह महा घोटाला नहीं तो क्या है।

सर्वप्रथम न्यूज़ सौरभ कुमार : इंदिरा गांधी राष्ट्रीय दिव्यांग पेंशन योजना N.S.A.P गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले उन लोगों को  जीवन को ऊपर उठाने के लिए बनाए गए हैं लेकिन वह दिव्यांग आज बिहार में रो रहे हैं पूर्व के सरकार की मंशा एकदम साफ़ था कि दिव्यांगता के कारण महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करते हैं वह समाप्त हो सके इंदिरा गांधी राष्ट्रीय दिव्यांग पेंशन योजना उन व्यक्तियों को चिन्हित करती है जिसका दिव्यांग प्रतिशत 80% दिव्यांग हो या एक से अधिक दिव्यांगता होने के परिस्थिति में या दूसरे शब्दों में कहें तो  बहु दिव्यांगता जो पेंशन का लाभ मिल रहा है होने की स्थिति में एवं अति पिछड़ा और पिछड़ा श्रेणी के दिव्यांगों को अलग से ₹300 का दिया जाएगा यह मैं नहीं कहता यही इस योजना का सर्कुलर कहता है आइए अब जमीनी हकीकत से आपको रूबरू करवाता हूं कि किस प्रकार से इस योजना में पूरे भारत में घोटाला किया जा रहा है पूरे भारत में सामाजिक सुरक्षा पेंशन के तहत दिव्यांगों को लाभ दिया जाता है क्योंकि पेंशन का मामला राज्य सरकार के अंतर्गत आता है इसलिए इसमें भारी अनियमितता किया जा रहा है और किसी भी राज्य में इस राशि को इस योग्यता को परिपूर्ण करने वाले दिव्यांगों को नहीं दिया जा रहा है जहां एक तरफ बिहार विधानसभा में इसके संबंधित प्रश्न श्री सौरभ सुमन जी के द्वारा उठाया गया और हमारे कल्याण मंत्री श्री मदन साहनी जी के द्वारा कह कर समाप्त कर दिया जाता है की हमने सभी बड़े के बुजुर्गों को पेंशन प्रदान करने वाला राज्य बिहार है और यह भारत में पहली बार ऐसा हुआ है किसी राज्य में इसलिए हम पेंशन नहीं बढ़ा सकते हैं इस बात को मान भी लिया जाए लेकिन इसके बाद भी संदेह का स्थिति इस बात पर स्पष्ट होता है की इंदिरा गांधी राष्ट्रीय पेंशन योजना जो बिहार सरकार में लागू है और बिहार सरकार के योजना में इस योजना का जिक्र प्रमुख रूप से प्राप्त होता है तो सवाल यह है कि यह जो योजना है इसमें दोनों पेंशन योजना का लाभ सभी दिव्यांगों को प्रदान करवाना है तो बिहार सरकार का प्रत्येक पदाधिकारी यह डफली क्यों बजाड़ है हम एक ही पेंशन का लाभ आपको देंगे दूसरा पेंशन का लाभ हम नहीं देंगे जबकि भारत सरकार का सर्कुलर कुछ और कहता है अभी बिहार में महागठबंधन की सरकार है और महागठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी कौन सी है और उसका विचारधारा क्या है और इंदिरा गांधी से सब रूबरू होंगे फिर उनके द्वारा बनाई गई योजना का लाभ दिव्यांगों को क्यों नहीं मिल रहा है इस योजना में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि लाभ मिलेगा और इस पेंशन की शुरुआत इसी उद्देश्य से किया गया था की पेंशन के अलावा भी कुछ आर्थिक सहयोग हम देंगे और इसे लागू किया है सरकार ने यह संविधान में लिखित है और पारित है तो हम पैसा बढ़ाने की बात नहीं कर रहे बल्कि इस योजना का लाभ सामाजिक सुरक्षा पेंशन पाने वाले सभी दिव्यांगों को अगर मिल जाए तो उनका ₹300 पेंशन स्वयं ही बढ़ जाए लेकिन ना जाने क्यों उनका पेंशन नहीं बढ़ता है एक बड़ा सवाल कि हम कोई नई योजना का शुरुआत करने के लिए आपको नहीं कह रहे हैं कोई नया बजट पेश करने के लिए नहीं कहा है जो सदियों से बिहार में कार्यान्वित है और उसका लाभ दिव्यांग बुजुर्ग एवं विधवा महिला को नहीं मिल पा रहा है इसको क्या समझे मान लीजिए कि हम आंकड़ा उठाकर देखते हैं तो राज्य में 5100000 दिव्यांग और आप ही ने कहा है कि हम सभी बुजुर्गों को पेंशन देंगे तो बुजुर्गों की संख्या को जोड़ लीजिए महिलाओं की संख्या को जोड़ लीजिए यह दो करोड़ से पार तो होगा ही और इसके बाद उस संख्या को 300 से गुणा कर दीजिए तो प्रत्येक महीने इस पैसे का घोटाला नहीं हो रहा है तो क्या हो रहा है जो योजना संविधानिक रूप से पारित है और जो प्रत्येक दिव्यांग को मिलना चाहिए जो उसकी योग्यता को अंतर्गत आता है उसे क्यों इस योजना का लाभ नहीं मिल पाता है क्या यह संविधानिक अधिकार धारा 21 का उल्लंघन नहीं है क्या यह साक्ष्य कानून अधिकार अधिनियम धारा 74 75 76 का उल्लंघन नहीं किया जा रहा है खुलेआम तौर से क्या यह सरकारी आदेश जो सरकार के द्वारा पारित किए जा रहे हैं चाहे वह केंद्र सरकार का आदेश हो या राज्य सरकार का आदेश हो दोनों जगह समान रूप से लागू है फिर भी इसका पालन नहीं किया जा रहा है तो क्या यह सरकारी आदेश का उल्लंघन का मामला नहीं बनता है भारतीय दंड संहिता 188 के तहत इस पर कार्रवाई नहीं की जाए लोग पूछते हैं कि सर बताइए की खुलेआम भ्रष्टाचार कहां हो रहा है तो यही तो खुलेआम भ्रष्टाचार है हम पैसा नहीं बढ़ा सकते हैं और आपके योजना में जो पैसा मिल रहे हैं उसको भी आपको नहीं दे सकते हैं और यह किसके साथ हो रहा है यह राज्य के दिव्यांग के साथ हो रहा है तो राजनीति अपने कितनी भय युक्ति स्थिति में पहुंच चुकी है आप खुद ही अनुमान लगा सकते हैं यहां पर तो दिव्यांग अधिकार अधिनियम 2016 और संविधानिक अधिकार का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है तो क्या यहां पर संबंधित विभाग पर दिव्यांग अधिकार अधिनियम के तहत कार्रवाई कर सकते हैं क्योंकि दिव्यांग अधिकार अधिनियम की सबसे बड़ी विशेषता यह बताई गई कि कोई उस नियम को पालन नहीं करेगा तो उसे दंडित किया जाएगा और सबसे पहले विशेषता में यही बताया गया कि समानता का अधिकार मिलेगा और कोई भी उल्लंघन करेगा 3 साल का सजा और छह लाख का जुर्माना दोषी पदाधिकारी पर और उत्तरदाई वर्तमान सरकार पर लगाया जाएगा क्योंकि संविधान में सभी व्यक्ति एक समान है हम सरकार से एक ही बात कहना चाहेंगे कि मेरा मुझ को अर्पण क्या लागत है तेरा इस योजना का शुरुआत केंद्र में 15 अगस्त 1995 को हुआ था लाल किले से और बिहार में और भारत में या कार्यान्वित 2009 में हुआ था लेकिन आज तक इस पैसे का जिस प्रकार से घोटाला किया जा रहा है या काफी निंदनीय है ।

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