पीएमसीएच मे पहुंचने पर दिमाग काम करना छोड़ देता है।

सर्वप्रथम न्यूज़ सौरभ कुमार : स्लाइन चढ़ाने के लिए मरीजों को आइवी कैलुना बाहर से लानी पड़ती है पीएमसीएच में ब्रेन हैमरेज की दवा नहीं पटना बिहार जिलों से उत्कृष्ट  निशुल्क उपचार के लिए पीएमसीएच आने वाले मरीजों को लंबे समय से निधारित दवाएं नहीं मिल रही है. आलम यह है कि ठंड में जब ब्रेन हैमरेज के मामले बढ़ जाते है, उस समय अस्पताल में मस्तिष्क में जमा खून व अन्य फ्ल्यूड निकालने के काम आने वाला मेनिटल इंजेक्शन तक रोगियों को बाहर से लाना पड़ रहा है. आइवी सेट है लेकिन नसों में इंजेक्शन देने या सलाइन चढ़ाने के लिए आइवी कला बाहर से लानी पड़ती है. इसके अलावा एचवी जांच किट लंबे समय से नहीं है, सबसे खराब हाल शिशु रोग विभाग का है, जहां नवजात बच्चों के लिए जरूरी अधिकतर दवाएं गायब है. बच्चों के लिए आक्सीजन मास्क और नेबुलाइलेजशन की दवाएं तक नहीं है. वहीं एकमात्र रास्ता और पटना महाविद्यालय अस्पताल उस पर भी जाम होने से कई बार दवा के अभाव में इलाज नहीं शुरू होने से रोगियों की जान पर बन आती है. पीएमसीएच प्रबंधन के अनुसार बीएमएस आइसीएल से दवाओं की मांग की गई है लेकिन अभी तक मिली नहीं है. यह आलम तब है जबकि आपदा प्रबंधन विभाग ठंड को देखते हुए अस्पतालों को आवश्यक तैयारियां करने की गाइडलाइन 20 दिन पहले जारी कर चुका है कम कर रहे इम्यून पावर ठंडजनित रोगों के लिए एमाक्स क्लैव इंजेक्शन को सबसे बेहतर माना जाता है. इसके उपलब्ध नहीं होने पर आजकल कुछ डाक्टर मेरोपेनम जैसे हाई डोज के इंजेक्शन दे रहे हैं. इससे स्थानीय बाजार, बच्चों व रोगियों में न केवल इस दवा से खरीदा जा के लिए प्रतिरोधक क्षमता विकसित रहा है. जबकि हो सकती है बल्कि उनके अपनी रोग टिटबैंक तो लंबे प्रतिरोधक क्षमता भी प्रभावित होती दो से तीन बार बाजार जाने पर आती पूरी दवा बक्सर, मोतिहारी, छपरा के भर्ती मरीजी के अनुसार नर्स फुटकर में दो-तीन दवाएं लिख कर देती है. ऐस में दो से तीन बार में बाजार जाने पर पूरी दवाएं आ पाती है. इसमें भी कई बार किसी दवा इंजेक्शन की प गलत लिख दी जाती है तो उसे जाकर बदलना पड़ता है,है. तेज बुखार होने पर पारासिटामोल इंजेक्शन भी नहीं है. ब्लाडर में पेशाब जमा होने पर निकालने के काम आने वाला राइस ब्रान भी कुछ ही साइज का उपलब्ध है. 20 और 50 एमएल की सिरिज भी नहीं है, काटन को समय से नहीं है।

 

 

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