दिव्यांगों के लिए खुशखबरी! UGC ने लिखित परीक्षा के लिए दिए ये निर्देश

सर्वप्रथम न्यूज़ सौरभ कुमार :विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के सचिव प्रो. रजनीश जैन ने केंद्रीय विश्वविद्यालय, राज्य और डीम्ड विश्वविद्यालयों के कुलसचिवों को एक सर्कुलर जारी किया है। सर्कुलर में विकलांगों (दिव्यांग जनों) के लिखित परीक्षा में भाग लेने की नई सुविधाओं के दिशा-निर्देश जारी कर इसे लागू करने के लिए कहा है।

UGC ने यह सर्कुलर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने दिव्यांग व्यक्तियों के लिखित परीक्षा में बैठने हेतु हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए निर्देश जारी करते हुए कहा है कि बैंचमार्क विकलांगता वाले व्यक्तियों को लिखित परीक्षा में बैठने के निर्देश जारी किए हैं।

डीयू पूर्व एसी सदस्य प्रो. हंसराज ने बताया कि UGC सचिव के आधार पर  डीन, एग्जामिनेशन प्रो. विनय गुप्ता ने कॉलेजों को सर्कुलर जारी कर विकलांग छात्रों के लिखित परीक्षा में बैठने संबंधी आंकड़े मंगवाए हैं जिन्हें बाद में UGC को भेजा जाएगा। उन्होंने बताया है कि लिखित परीक्षा में बैठने के निर्देश जारी किए हैं।

जिसमें कहा है कि जब तक उनके लिए लेखकों (राइटर) का पैनल नहीं गठित कर लिया जाता उसके पहले यदि कोई विभाग कोई परीक्षा कराता है तो ऐसे में 29 अगस्त, 2018 को दिए गए निर्देश लागू नहीं होंगे हालांकि वह अभ्यर्थी 26 फरवरी 2013 के दिशा-निर्देश के अनुसार लिखित परीक्षा में भाग ले सकने का अधिकारी होगा।

नेत्रहीन छात्रों के लिए स्वयं कॉलेज ही करेंगे लेखक का प्रबंध

सर्कुलर में सभी विश्वविद्यालयों से अनुरोध किया गया है कि वह सभी परीक्षा नियत्रंण को उचित सलाह हेतु निर्देश जारी करे। प्रशासनिक नियंत्रण द्वारा एक लेखकों/ लेब असिस्टेंट, रीडर का एक पैनल गठित करे जो कि जिला स्तरीय, संभाग स्तरीय/राज्य स्तरीय क्लॉज नम्बर 5 के दिशा-निर्देशों के अनुसार होगा।

जब तक कि लेखकों का पैनल गठित नहीं कर लिया जाता तब तक कोई भी विभाग जो परीक्षा करवा रहा है वह 9 अगस्त 2019 के दिशा- निर्देशों के अनुसार नहीं करा सकता। इस सर्कुलर के आने के बाद अब विकलांग छात्रों को अपनी परीक्षा देने के लिए लेखक/ राइटर को खोजना नहीं पड़ेगा।

इस पत्र के आने के बाद अब दिव्यांग/ नेत्रहीन छात्रों के लिए कॉलेजों को कमेटी गठित कर स्वयं लेखक/ राइटर का प्रबंध करना होगा। जबकि पहले दिव्यांग व नेत्रहीन छात्रों को स्वयं राइटर ढूंढने पड़ते थे जिसमें उन्हें काफी मिन्नतें करनी पड़ती थी।

 

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