दिव्यांग नेत्रहीन विद्यालय नहीं बल्कि पढ़ाई भी उदासी ही है।

सर्वप्रथम न्यूज़ सौरभ कुमार : राज्य के सरकारी नेत्रहीन स्कूलों में हैं। पढ़ने वाले नेत्रहीन बच्चों को ब्रेल लिपि में पढ़ाने वाले नेत्रहीन शिक्षक नहीं हैं। इसका असर नेत्रहीन बच्चों की पढ़ाई पर पड़ रहा है।प्रदेश में तीन सरकारी नेत्रहीन स्कूल हैं। सरकारी नेत्रहीन स्कूल पटना, दरभंगा और भागलपुर में है। पटना एवं दरभंगा में हाई स्कूल है, जिसमें 10वीं कक्षा तक की पढ़ाई होती है। भागलपुर में मिडिल स्कूल है, जिसमें मिडिल तक की पढ़ाई होती है। पटना में राजकीय नेत्रहीन उच्च विद्यालय कदमकुआं में है, जिसकी स्थापना के सौ साल पूरे हो चुके हैं। इसके मद्देनजर बिहार में नेत्रहीन बच्चों की स्कूली शिक्षा का शताब्दी समारोह गत आठ-नौ अक्तूबर को पूर्ववर्ती छात्रों द्वारा मनाया गया है। लेकिन, हालत यह है कि तीनों सरकारी नेत्रहीन स्कूलों में बच्चों को ब्रेल लिपि में पढ़ाने वाले एक भी नेत्रहीन शिक्षक नहीं आपको याद दिला दूं कि नेत्रहीन बच्चे ब्रेल दूं लिपि में पढ़ते हैं। पटना के सरकारी नेत्रहीन स्कूल में एक नेत्रहीन शिक्षक हैं भी, तो वे म्युजिक के हैं। वे भी अगले महीने रिटायर होने वाले हैं। दरभंगा और भागलपुर के सरकारी नेत्रहीन स्कूल में तो बच्चों को ब्रेल लिपि में पढ़ाने वाले एक भी नेत्रहीन शिक्षक नहीं हैं। तीनों सरकारी नेत्रहीन स्कूल समाज कल्याण विभाग के जिम्मे हैं।

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