दिव्यांग क्या आपको पता है E-NAAM योजना क्या है..?

सर्वप्रथम न्यूज़ सौरभ कुमार :  दिव्यांग और  समान किसान अपनी उपज की कीमत की जानकारी एगमार्क नेट वेबसाइट पर या किसान का कॉल सेंटर अथवा एसएमएस के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं। अपनी आवश्यकता अनुसार उपलब्ध एसएमएस को देखें और सूचना प्राप्त करें। वेबसाइट पर क्रेता विक्रेता दोनों उपलब्ध है। फसल की कटाई और गहराई उचित समय पर की जानी चाहिए। उचित कीमत के लिए बिक्री से पहले उचित ग्रेडिंग, पैकिंग और लेबलिंग की जानी चाहिए। उचित मूल्य प्राप्त करने के लिए उचित बाजार/मंडी में बिक्री करनी चाहिए। मजबूरन बिक्री से बचना चाहिए। बेहतर विपणन सुविधाओं के लिए किसान समूह में सहकारी विपणन समितियाँ एफपीओ गठित कर सकते है। विपणन समितियाँ खुदरा और थोक दूकानें खोल सकतीं हैं।

कृषि विपणन इन्फा (एएमआई)

कृषि बाजार को राज्यों द्वारा उनके कृषि-व्यवसाय विनिमय द्वारा संचालित किया जाता है, जिसके अंतर्गत, राज्य को विभिन्न बाजार क्षेत्रों में बांटा जाता है, जिसमें से प्रत्येक का संचालन अलग-अलग कृषि उपज बाजार समिति (ए.पी.एम.सी), जो इसके अपने व्यवसाय विनिमय (शुल्क के साथ) को लागू करता है, बाजारों का यह विखंडन, यहां तक कि राज्य के भीतर, एक बाजार से दूसरे बाजार में कृषि उपजो के आवागमन तथा कृषि-उत्पाद के अलग-अलग तरह से निपटान में बाधा पहुंचाता है और मंडी शुल्कों के अलग-अलग स्तर किसानों के अनुरूप लाभ के बिना उपभोक्ताओं के लिए कीमतें बढ़ते जाती है।कृषि विपणन इन्फ्रा को तत्काल बंद कर दिया गया है। किसी तरह की जानकारी अथवा विवरण प्राप्त करने के लिए आप उप कृषि विपणन सलाहकार, विपणन एवं निरीक्षण निदेशालय, फरीदाबाद से संपर्क कर सकते हैं।

राष्ट्रीय कृषि बाज़ार (इ-नाम)

कृषि विपणन क्षेत्र में प्रवेशक सुधार के उद्देश्य से और किसानों को अधिकतम लाभ देने के लिए पूरे देश में कृषि जिंशों को ऑन–लाइन विपणन को प्रोत्साहन देने के लिए भारत सरकार ने दिनांक 01.07.2015 को राष्ट्रीय कृषि बाजार को कार्यान्वयन के लिए एक योजना अनुमोदित की है। यह एक पैन-इंडिया इलेक्ट्रॉनिक व्यापार पोर्टल है जो कृषि से संबंधित उपजो के लिए एक एकीकृत राष्ट्रीय बाजार का निर्माण करने के लिए मौजूदा ए.पी.एम.सी मंडी का एक प्रसार है। ई-नाम पोर्टल सभी ए.पी.एम.सी से संबंधित सूचना और सेवाओं के लिए एक ही स्थान पर सेवा प्रदान करता है। इसमें अन्य सेवाओं के बीच उपज के आगमन और कीमतों, व्यापार प्रस्तावों को खरीदने और बेचने, व्यापार प्रस्तावों पर प्रतिक्रिया के लिए प्रावधान शामिल हैं। जब सामग्री ेनदेन(कृषि उपज)मंडी के माध्यम से होना आरंभ होता है, तो ऑनलाइन बाजार से लेन-देन संबंधित व्यय और जानकारी असममिति कम होती है। राष्ट्रीय कृषि विपणन (एनएएम) दिशानिर्देश शीघ्र ही 14.04.2016 को 8 राज्यों की 20 मंडियों में शुरू किया गया है। अब तक 10 राज्यों में आन्ध्र प्रदेश (12), छत्तीसगढ़  (5), गुजरात (40), हरियाणा (37), हिमाचल प्रदेश (20) राजस्थान (11) तेलंगाना (44) और यूपी (66) ई- एनएएम् पोर्टल के साथ एकीकृत किया गया। अधिक जानकारी के लिए कृपया भी श्री सुभाष शर्मा, पीएमयू, एनएएम्, लघु किसान  कृषि व्यवसाय संगठन, नई दिल्ली (e-mail ID:  nam@sagac-in) को संपर्क करें। योजनाओं की विस्तृत जानकारी www.enam.gov.in  पर उपलब्ध है।

किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ)

एफपीओ में किसान कैसे सम्मिलित हों

किसानों का एक समूह जो वास्तव में कृषि उत्पादन कार्य में लगा हो और जो कृषि व्यवसायिक गतिविधयों चलाने में एक जैसी धारणा रखते हों, एक गाँव अथवा कई गांवों को सम्मिलित कर एक समूह बना सकते है और संगत कंपनी अधिनियम के अधीन एक किसान उत्पादन कंपनी के पंजीकरण के लिए आवेदन कर सकते हैं।

एफपीओ के गठन से किसान को क्या लाभ होंगे

यह एक सशक्तिशील संगठन होने के कारण एफपीओ के सदस्य के रूप में किसनों को बेहतर सौदेबाजी करने की शक्ति देगी जिसे उन्हें जिंशो को प्रतिस्पर्धा मूल्यों पर खरीदने या बेचने का उचित लाभ मिल सकेगा। बेहतर विपणन सुअवसरों के लिए कृषि उत्पादों का एकत्रीकरण। बहुलता में व्यापार करने से प्रसंस्करण, भंडारण, परिवहन इत्यादि मदों में होने वाले संयूक्त खर्चों से किसानों को बचत। एफपीओ मूल्य संवर्धन के लिए छंटाई/ग्रेडिंग, पैकिंग, प्राथमिक प्रसंस्करण इत्यादि जैसे गतिविधियाँ शुरू कर सकता है जिससे किसनों के उत्पादन को उच्चतर मूल्य मिल सकता है। एफपीओ के गठन से ग्रीन हाउस, कृषि मशीनीकरण, शीत भण्डारण, कृषि प्रसंस्करण इत्यादि जैसे कटाई पूर्व और कटाई पश्चात संसाधनों के उपयोग में सुविधा।एफपीओ आदान भंडारों, कस्टम केन्द्रों इत्यादि को शुरू कर अपनी व्यवसायिक गतिविधियों को विस्तारित कर सकते हैं। जिससे इसके सदस्य किसान आदानों और सेवाओं का उपयोग रियायती दरों पर ले सकते हैं।

एफपीओ में आवेदन करने के लिए संपर्क सूत्र

आमतौर पर कृषि, सहकारिता और किसान कल्याण विभाग द्वारा राज्यों में कार्यान्वित विभिन्न केन्द्रीय क्षेत्र योजनाओं के अंतर्गत एफपीओ को प्रोत्साहित किया जाता है। एफपीओ गठित करने के इच्छुक किसानों को विस्तृत जानकारी के लिए संबंधित विभाग/ लघु कृषक कृषि व्यवसाय संगठन के निदेशक (ई- मेल: sfac@nic.in )  से संपर्क कर सकते हैं।

Check Also

दिव्यांग पति नहीं देगा अपनी अलग रहने वाली पत्नी को गुजारा भत्ता।

🔊 Listen to this सर्वप्रथम न्यूज़ सौरभ कमार : कर्नाटक उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के …